उच्च शिक्षा की दुकाने सजाने में अग्रणी:छत्रपति शाहू जी महाराज विश्विद्यालय ,कानपुर
कानपुर का छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर देश में उच्च शिक्षा की दुकाने खोलने में अग्रणी है.वर्तमान समय में इस विश्वविद्यालय का फैलाव इटावा से लेकर इलाहाबाद तक १५ जिलो में है तथा इस विश्विद्यालय से करीब ५९८ महाविद्यालय जुड़े हुए है जिनका विवरण इस प्रकार एडेड महाविद्यालय,निजी महाविद्यालय ,राजकीय महाविद्यालय के क्रम में है -१-कानपुर नगर(२२,८४,२)२-कानपुर देहात(२,३८,१)३-इलाहाबाद(४,९९,३)४-कौशाम्भी(१,२७,१)५-फतेहपुर(२,३०,२) ६-फर्रुखाबाद(७,२२,१)७-कन्नौज(२, २७,१)८-इटावा(३,२२,१)९-औरैया(३,२१,१)१०-लखीमपुर खीरी(३,१६,१ )११-हरदोई(२,४६,२)१२-रायबरेली(४,२३,३)१३-सीतापुर(४,२५,२)१४-उन्नाव(२,२१,२)१५-लखनऊ(०,१३,०) (इन का विस्तृत विवरण आप विश्वविद्यालय की वेबसईट पर देख सकते है इनका स्त्रोत वही से हैhttp://www.kanpuruniversity.org/affiliated_colleges1.asp) इस प्रकार से छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय से सम्व्ध्द कुल एडेड महाविद्यालय ६१ ,निजी महाविद्यालय ५१४ तथा राजकीय महाविद्यालय २३ है जिनमे स्नातक और परा स्नातक की डिग्री दी जाती है.इस विश्वविद्यालय में ५१४ निजी महाविद्यालय है जिनमे अधिकांश महाविद्यालय दबंग लोगो के है जो किसी राजनितिक पार्टी में विधायक या मंत्री रह चुके है या फिर वर्तमान समय में है या कूटा या विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के खुद के है या फिर इसके रिश्तेदारों के है.इन निजी महाविद्यालय में शिक्षा के नाम पर डिग्री बेचीं जाती है.इस निजी महाविद्यालय में वर्ष भर तो पढाई के नाम पर शायद ही किसी महाविद्यालय में छात्र और टीचर मिले.ये दोनों ही केवल पेपर के समय ही देखे जाते है.
अब ज़रा विश्विद्यालय इन महाविद्यालय के विरुध्द क्या कार्यवाही करता है वो जाने निजी महाविद्यालय केवल कागज के दम पर चलते है.इस विश्वविद्यालय को निजी महाविद्यालय से केवल और केवल कागजी कार्यवाही चाहिए और कुछ नहीं यानी इस विश्वविद्यालय के निजी महाविद्यालय केवल कागजो के दम पर चल रहे है.विश्वविद्यालय जब इन महाविद्यालय को मान्यता देता है तो केवल कागज और नोटों की गद्दिया देख कर देता है.बाकि के मानक से विश्वविद्यालय को कोई लेना देना नहीं है.इस विश्वविद्यालय ने उच्च शिक्षा का बाजारीकरण कर दिया है,उच्च शिक्षा की दुकाने सजा दी है और सजाने में लगा है आज अगर इस विश्वविद्यालय के सीमा क्षेत्र को देखे को लगभग इसके सीमा क्षेत्र में १०० दुकाने और सज रही है जिनको ये विश्वविद्यालय हो सकता है अगले वर्ष मान्यता दे दे डिग्री बेचने की वो भी नोटों की गद्दियो के दम पर. मानक पूरे हो या ना हो ,मानक से कोई मतलब नहीं है केवल कागजी कार्यवाही पूरी होनी चाहिए बस .वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बड़े शिक्षा माफिया की दुकाने इस विश्वविद्यालय में सजी हुयी है और बहुत सी इस साल सजने वाली है.अगर अपुष्ट सूत्रों की माने तो इस वर्ष के अंत तक निजी महाविद्यालय की संख्या इस विश्वविद्यालय में लगभग ६१४ हो जयेजाएगी जिसका विवरण आप साल के अंत में विश्वविद्यालय की वेबसाईट पर देख सकते है.आब ज़रा इन निजी महाविद्यालय की कमाई को जान ले -एक निजी महाविद्यालय कला स्नाताक के छात्र से वाषिक फीस १५०० से ३००० तक लेता है तथा विज्ञानं स्नातक के छात्र से ४००० से ६००० तक लेता है. अगर एक महाविद्यालय में एक साल में कला स्नातक की सीट ३६० hai तो कला स्नातक की कुल सीट हुयी = १०८० अब १०८० सीट की फीस देखे १०८० सीट की फीस =१६लाख २० हजार से ३२ लाख ४० हजार रुपये तक.अब विज्ञान की फीस देखे -अगर महाविद्यालय में एक वर्ष में २४० विज्ञान की सीट है तब कुल सीट =७२० कुल कमाई =२८ लाख ८० हजार से ४३ लाख २० हजार । अगर एक महाविद्यालय में कला स्नातक की कुल सीट १०८० और विज्ञान स्नातक की कुल सीट ७२० है तो उस महाविद्यालय को दोनों संकाय से कुल कमाई =४५ लाख से ७५ लाख ६० हजार तक.(ये अंकादे निजी महाविद्यालय सीट संखा के आधार पर है जो ज्यादा और कम भी हो सकती है)अब ज़रा इन निजी महाविद्यालय का खर्च भी जान ले -अधिकांश निजी महाविद्यालय में मानक के अनुरूप टीचर नहीं है(मानक से तात्पर्य -यूं 0जी 0 सी0 के मानक से है जिसमे टीचर की योग्यता उसके विषय में नेट, स्लेट पी-एच ० दी० या एम० फ़िल० हो)ये टीचरनिजी महाविद्यालय में केवाल कागजो पर ही है वास्तविक रूप से शायद ही किसी महाविद्यालय में सभी विषय के सभी अनुमोदित टीचर हो (अनुमोदन-यू जी सी के मानक के अनुरूप योग्यता धरी टीचर को महाविद्यालय में पढ़ाने की स्वीकृति)एक अनुमोदित टीचर को महाविद्यालय द्वारा ५ हजार से १० हजार मासिक तक वेतन दिया जाता ही जो भी अधिकांश महाविद्यालय के व्दारा पूरे साल भर नहीं दिया जाता .चलो अब एक अच्छे महाविद्यालय का पूरे साल का खर्च देखे अगर किसी महाविद्यालय में कला संकाय की मान्याता ७ विषय से ही और विज्ञान संकाय की मान्यता ५ विषय से ही तो उस महाविद्यालय का टीचर खर्च पूरे साल का खर्च (अगर वेतन पूरे साल मिले तो )७ लाख २० हजार से १४ लाख ४० हजार तक आता ही.कुछ महाविद्यालय में विज्ञान के २ टीचर रखे ही जन्मे अधिकांश महाविद्यालय में दोनों टीचर मानक के अनुरूप नहीं ही .कुल मिलाकर लेखा जोखा इतना ही आता ही.जो टीचर मानक के अनुरूप नहीं होते ही उनका वेतन २ हजार से 5 तक ६ से ८ महीने तक दिया जाता ही .कुल मिला कर कर निजी महाविद्यालय में काम करने वाले टीचर को सरकारी चपरासी के बराबर भी वेतन नहीं दिया जाता ही.
अब निजी महाविद्यालय के अन्य खर्च भी जाने निजी महाविद्यालय में टीचर के अलावा वास्तविक तौर पर ६ तक का चपरासी और क्लर्क का स्टाफ रहता ही है जिनको १५०० से ३००० तक मासिक वेतन दिया जाता है .इस प्रकार से अगर सभी खर्चे मिला दिए जाये तो एक महाविद्यालय का वार्षिक वास्तविक खर्च १० लाख से २० लाख तक आता ही .इस प्रकार से अगर एक महाविद्यालय में कला और विज्ञान की संकाय ही तो उपरोक्तआंकड़ों के आधार पर उस महाविद्यालय की वार्षिक कमाई ३५ से ५५ लाख तक होती है .निजी महाविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों से विश्वविद्यालय का जो खर्च आता ही वो तो लिया ही जाता है ही.समय समय पर छात्रों से निजी महाविद्यालय द्वारा प्रयोगात्मक परीक्षा के नाम पर ,छमाही परीक्षा के नाम पर अन्य वसूली भी की जाती ही.अगर महाविद्यालय में बी0 ऐड या बी टी सी ही तब तो इसे महाविद्यालय में कुबेर के खजाने की चाबी ही.तब ये कमाई कई करोड़ में हो जाती ही.
अब निजी महाविद्यालय में पढ़ाई का हाल जाने निजी महाविद्यालय में साल भर तो छात्र तो दिखाई नहीं ही बस किसी महाविद्यालय में टीचर को बाबू का काम करते देखा जा सकता ही.बस इस विश्वविद्यालय के निजी महाविद्यालय साल भर टीचर और छात्रो का शोषण ही और परीक्षा में टूट के नक़ल करवा रहे ....
कानपुर का छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर देश में उच्च शिक्षा की दुकाने खोलने में अग्रणी है.वर्तमान समय में इस विश्वविद्यालय का फैलाव इटावा से लेकर इलाहाबाद तक १५ जिलो में है तथा इस विश्विद्यालय से करीब ५९८ महाविद्यालय जुड़े हुए है जिनका विवरण इस प्रकार एडेड महाविद्यालय,निजी महाविद्यालय ,राजकीय महाविद्यालय के क्रम में है -१-कानपुर नगर(२२,८४,२)२-कानपुर देहात(२,३८,१)३-इलाहाबाद(४,९९,३)४-कौशाम्भी(१,२७,१)५-फतेहपुर(२,३०,२) ६-फर्रुखाबाद(७,२२,१)७-कन्नौज(२, २७,१)८-इटावा(३,२२,१)९-औरैया(३,२१,१)१०-लखीमपुर खीरी(३,१६,१ )११-हरदोई(२,४६,२)१२-रायबरेली(४,२३,३)१३-सीतापुर(४,२५,२)१४-उन्नाव(२,२१,२)१५-लखनऊ(०,१३,०) (इन का विस्तृत विवरण आप विश्वविद्यालय की वेबसईट पर देख सकते है इनका स्त्रोत वही से हैhttp://www.kanpuruniversity.org/affiliated_colleges1.asp) इस प्रकार से छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय से सम्व्ध्द कुल एडेड महाविद्यालय ६१ ,निजी महाविद्यालय ५१४ तथा राजकीय महाविद्यालय २३ है जिनमे स्नातक और परा स्नातक की डिग्री दी जाती है.इस विश्वविद्यालय में ५१४ निजी महाविद्यालय है जिनमे अधिकांश महाविद्यालय दबंग लोगो के है जो किसी राजनितिक पार्टी में विधायक या मंत्री रह चुके है या फिर वर्तमान समय में है या कूटा या विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के खुद के है या फिर इसके रिश्तेदारों के है.इन निजी महाविद्यालय में शिक्षा के नाम पर डिग्री बेचीं जाती है.इस निजी महाविद्यालय में वर्ष भर तो पढाई के नाम पर शायद ही किसी महाविद्यालय में छात्र और टीचर मिले.ये दोनों ही केवल पेपर के समय ही देखे जाते है.
अब ज़रा विश्विद्यालय इन महाविद्यालय के विरुध्द क्या कार्यवाही करता है वो जाने निजी महाविद्यालय केवल कागज के दम पर चलते है.इस विश्वविद्यालय को निजी महाविद्यालय से केवल और केवल कागजी कार्यवाही चाहिए और कुछ नहीं यानी इस विश्वविद्यालय के निजी महाविद्यालय केवल कागजो के दम पर चल रहे है.विश्वविद्यालय जब इन महाविद्यालय को मान्यता देता है तो केवल कागज और नोटों की गद्दिया देख कर देता है.बाकि के मानक से विश्वविद्यालय को कोई लेना देना नहीं है.इस विश्वविद्यालय ने उच्च शिक्षा का बाजारीकरण कर दिया है,उच्च शिक्षा की दुकाने सजा दी है और सजाने में लगा है आज अगर इस विश्वविद्यालय के सीमा क्षेत्र को देखे को लगभग इसके सीमा क्षेत्र में १०० दुकाने और सज रही है जिनको ये विश्वविद्यालय हो सकता है अगले वर्ष मान्यता दे दे डिग्री बेचने की वो भी नोटों की गद्दियो के दम पर. मानक पूरे हो या ना हो ,मानक से कोई मतलब नहीं है केवल कागजी कार्यवाही पूरी होनी चाहिए बस .वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बड़े शिक्षा माफिया की दुकाने इस विश्वविद्यालय में सजी हुयी है और बहुत सी इस साल सजने वाली है.अगर अपुष्ट सूत्रों की माने तो इस वर्ष के अंत तक निजी महाविद्यालय की संख्या इस विश्वविद्यालय में लगभग ६१४ हो जयेजाएगी जिसका विवरण आप साल के अंत में विश्वविद्यालय की वेबसाईट पर देख सकते है.आब ज़रा इन निजी महाविद्यालय की कमाई को जान ले -एक निजी महाविद्यालय कला स्नाताक के छात्र से वाषिक फीस १५०० से ३००० तक लेता है तथा विज्ञानं स्नातक के छात्र से ४००० से ६००० तक लेता है. अगर एक महाविद्यालय में एक साल में कला स्नातक की सीट ३६० hai तो कला स्नातक की कुल सीट हुयी = १०८० अब १०८० सीट की फीस देखे १०८० सीट की फीस =१६लाख २० हजार से ३२ लाख ४० हजार रुपये तक.अब विज्ञान की फीस देखे -अगर महाविद्यालय में एक वर्ष में २४० विज्ञान की सीट है तब कुल सीट =७२० कुल कमाई =२८ लाख ८० हजार से ४३ लाख २० हजार । अगर एक महाविद्यालय में कला स्नातक की कुल सीट १०८० और विज्ञान स्नातक की कुल सीट ७२० है तो उस महाविद्यालय को दोनों संकाय से कुल कमाई =४५ लाख से ७५ लाख ६० हजार तक.(ये अंकादे निजी महाविद्यालय सीट संखा के आधार पर है जो ज्यादा और कम भी हो सकती है)अब ज़रा इन निजी महाविद्यालय का खर्च भी जान ले -अधिकांश निजी महाविद्यालय में मानक के अनुरूप टीचर नहीं है(मानक से तात्पर्य -यूं 0जी 0 सी0 के मानक से है जिसमे टीचर की योग्यता उसके विषय में नेट, स्लेट पी-एच ० दी० या एम० फ़िल० हो)ये टीचरनिजी महाविद्यालय में केवाल कागजो पर ही है वास्तविक रूप से शायद ही किसी महाविद्यालय में सभी विषय के सभी अनुमोदित टीचर हो (अनुमोदन-यू जी सी के मानक के अनुरूप योग्यता धरी टीचर को महाविद्यालय में पढ़ाने की स्वीकृति)एक अनुमोदित टीचर को महाविद्यालय द्वारा ५ हजार से १० हजार मासिक तक वेतन दिया जाता ही जो भी अधिकांश महाविद्यालय के व्दारा पूरे साल भर नहीं दिया जाता .चलो अब एक अच्छे महाविद्यालय का पूरे साल का खर्च देखे अगर किसी महाविद्यालय में कला संकाय की मान्याता ७ विषय से ही और विज्ञान संकाय की मान्यता ५ विषय से ही तो उस महाविद्यालय का टीचर खर्च पूरे साल का खर्च (अगर वेतन पूरे साल मिले तो )७ लाख २० हजार से १४ लाख ४० हजार तक आता ही.कुछ महाविद्यालय में विज्ञान के २ टीचर रखे ही जन्मे अधिकांश महाविद्यालय में दोनों टीचर मानक के अनुरूप नहीं ही .कुल मिलाकर लेखा जोखा इतना ही आता ही.जो टीचर मानक के अनुरूप नहीं होते ही उनका वेतन २ हजार से 5 तक ६ से ८ महीने तक दिया जाता ही .कुल मिला कर कर निजी महाविद्यालय में काम करने वाले टीचर को सरकारी चपरासी के बराबर भी वेतन नहीं दिया जाता ही.
अब निजी महाविद्यालय के अन्य खर्च भी जाने निजी महाविद्यालय में टीचर के अलावा वास्तविक तौर पर ६ तक का चपरासी और क्लर्क का स्टाफ रहता ही है जिनको १५०० से ३००० तक मासिक वेतन दिया जाता है .इस प्रकार से अगर सभी खर्चे मिला दिए जाये तो एक महाविद्यालय का वार्षिक वास्तविक खर्च १० लाख से २० लाख तक आता ही .इस प्रकार से अगर एक महाविद्यालय में कला और विज्ञान की संकाय ही तो उपरोक्तआंकड़ों के आधार पर उस महाविद्यालय की वार्षिक कमाई ३५ से ५५ लाख तक होती है .निजी महाविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों से विश्वविद्यालय का जो खर्च आता ही वो तो लिया ही जाता है ही.समय समय पर छात्रों से निजी महाविद्यालय द्वारा प्रयोगात्मक परीक्षा के नाम पर ,छमाही परीक्षा के नाम पर अन्य वसूली भी की जाती ही.अगर महाविद्यालय में बी0 ऐड या बी टी सी ही तब तो इसे महाविद्यालय में कुबेर के खजाने की चाबी ही.तब ये कमाई कई करोड़ में हो जाती ही.
अब निजी महाविद्यालय में पढ़ाई का हाल जाने निजी महाविद्यालय में साल भर तो छात्र तो दिखाई नहीं ही बस किसी महाविद्यालय में टीचर को बाबू का काम करते देखा जा सकता ही.बस इस विश्वविद्यालय के निजी महाविद्यालय साल भर टीचर और छात्रो का शोषण ही और परीक्षा में टूट के नक़ल करवा रहे ....
इस विश्वविदयाल की अनिमियताओ के विरुद्ध युद्ध
जवाब देंहटाएंआर या पार
अब अंजाम जो होगा वह मंजूर
कफ़न सर पे बांधना किया मंजूर
कानपुर ब्लागर्स असोसिएसन पर यह जंग लड़ी जा रही है अतः ब्लागर्स बंधू मै क्षमा चाहता हूँ क्योकि KBA पर और पोस्टो के लिए मुश्किल से जगह मिल पायेगी जंग के बाद जीत का जश्न हम कविताओं और अन्य रचनाओं से मनायेगे.
जवाब देंहटाएंदे घुमा के
जवाब देंहटाएंइस दीमक लगी खोखली व्यवस्थ को जला दो फूंक डालो मिटटी का तेल मै लाता हूँ
are ye to bahut thoda byaan diyaa hai asal me saare ke saare university ke log mil kar dukane chalaa rahe hai
जवाब देंहटाएंवी सी महोदय संभवतः ६ माह के अंदर रिटायर हो रहे हैं. इनसे बहुत उम्मीद करना बेकार है. यह परीक्षा तो जैसे निपट रही है उसे सबने देख ही लिया. आगे से ऐसी परीक्षा व्यवस्था न रहे इस बारे में प्रदेश शासन को लगातार खटखटाते रहने की आवश्यकता है. जो संकल्प लिया है उसे पूरा करने में कुछ समय लगेगा. निरंतर संगठित प्रयास की आवशयकता है. मुल्यांकन के दौरान सभी परीक्षक अगर ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाएं तो एक और चोट इस भ्रष्ट व्यवस्था पर करी जा सकती है. ब्लॉग से जुड़े सभी वे जो वास्तव में शिक्षक हैं एवं सुधार की इच्छा रखतें हैं को ब्लॉग से बाहर आकर भी लिखा पढ़ी, दौड़ भाग एवं समाज के विभिन्न तबकों को शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरुद्ध जागरूक करने की जरूरत होगी. निर्भीक एवं साहसिक अभिव्यक्ति के लिए सबको धन्यवाद,बधाई. मैं सैधांतिक रूप से सदैव आप सब के साथ हूँ-- डॉ.बी.डी.पाण्डेय
जवाब देंहटाएंIn this moral campaign we all young of india to be born
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