आज इस कड़ी में पेश है सिकन्दरा का ऐतिहासिक कब्रिस्तान ...........सिकन्दरा में एक प्राचीन कब्रिस्तान है.यह कब्रिस्तान सिकन्दरा चौराहे के पास भोगनीपुर रोड पर है.सिकन्दरा चौराहे से लगभग १०० कदम की दूरी पर मुग़ल रोड पर ही एक तालाब मिलता है .इस तालाब के पीछे स्थित है यह ऐतिहासिक कब्रिस्तान.एक अनुमान के आधार यह कब्रिस्तान लगभग ४०० साल तक पुराना है.इस कब्रिस्तान में एक कुआँ है जो लगभग उतना ही पुराना है जितना कब्रिस्तान .इसके आलावा इस कब्रिस्तान में एक इमारत के भी अवशेष है.इस कब्रिस्तान में आज भी एक कब्र पर कुछ अंकित है जिसके कुछ अवशेष ही शेष बचे हुए है.अगर जानकारों की माने तो जानकार यह बताते है की कब्र पर अंकित भाषा फारसी भाषा है जो मुग़ल शासन काल के समय प्रयोग की जाती थी.आज इस कब्रिस्तान पर कुछ आराजक तत्वों ने अपना अड्डा बना रखा है.ये आराजक तत्व यहाँ पर जुआं ,शराब और अश्लील कार्य कर रहे है तथा इस ऐतिहासिक स्थाल को क्षति पहुचा रहे है.भारतीय पुरातत्व विभाग गहरी नीद में सो रहा है.उसको इन स्थलों की कोई खैर खबर ही नहीं ही और इसके साथ ही प्रदेश सरकार को भी इन स्थलों से कोई लेना देना नहीं ही .प्रदेश सरकार के लिए तो बस हाथी मूर्ति प्रेम ही सब कुछ है. सिकन्दरा के बारे में लोगो की धारणा यह है की इसको सिकंदर लोधी ने बसाया था.मुगलशासन काल के पहले खोजफूल के पास एक गावं जिसका नाम विलासपुर है ,यह गावं एक विकसित गावं माना जाता था.सिकन्दरा की नीव रखी जाने से विलासपुर का उजाड़ना शुरू हो गया और सिकन्दरा का विकास होना शुरू हो गया.कुछ समय पश्चात ही सिकन्दरा ने एक विकसित रूप ले लिया.
कानपुर मात्र उद्योगों से ही सम्बंधित नहीं है वरन यह अपने में विविधता के समस्त पहलुओ को समेटे हुए है. यह मानचेस्टर ही नहीं बल्कि मिनी हिन्दुस्तान है जिसमे उच्चकोटि के वैज्ञानिक, साहित्यकार, शिक्षाविद राजनेता, खिलाड़ी, उत्पाद, ऐतिहासिकता,भावनाए इत्यादि सम्मिलित है. कानपुर ब्लोगर्स असोसिएसन कानपुर के गर्भनाल से जुड़े इन तथ्यों को उकेरने सँवारने पर प्रतिबद्धता व्यक्त करता है इसलिए यह निदर्शन की बजाय समग्र के प्रति समर्पित है.
शनिवार, 23 अप्रैल 2011
कानपुर अतीत के साये में
आज इस कड़ी में पेश है सिकन्दरा का ऐतिहासिक कब्रिस्तान ...........सिकन्दरा में एक प्राचीन कब्रिस्तान है.यह कब्रिस्तान सिकन्दरा चौराहे के पास भोगनीपुर रोड पर है.सिकन्दरा चौराहे से लगभग १०० कदम की दूरी पर मुग़ल रोड पर ही एक तालाब मिलता है .इस तालाब के पीछे स्थित है यह ऐतिहासिक कब्रिस्तान.एक अनुमान के आधार यह कब्रिस्तान लगभग ४०० साल तक पुराना है.इस कब्रिस्तान में एक कुआँ है जो लगभग उतना ही पुराना है जितना कब्रिस्तान .इसके आलावा इस कब्रिस्तान में एक इमारत के भी अवशेष है.इस कब्रिस्तान में आज भी एक कब्र पर कुछ अंकित है जिसके कुछ अवशेष ही शेष बचे हुए है.अगर जानकारों की माने तो जानकार यह बताते है की कब्र पर अंकित भाषा फारसी भाषा है जो मुग़ल शासन काल के समय प्रयोग की जाती थी.आज इस कब्रिस्तान पर कुछ आराजक तत्वों ने अपना अड्डा बना रखा है.ये आराजक तत्व यहाँ पर जुआं ,शराब और अश्लील कार्य कर रहे है तथा इस ऐतिहासिक स्थाल को क्षति पहुचा रहे है.भारतीय पुरातत्व विभाग गहरी नीद में सो रहा है.उसको इन स्थलों की कोई खैर खबर ही नहीं ही और इसके साथ ही प्रदेश सरकार को भी इन स्थलों से कोई लेना देना नहीं ही .प्रदेश सरकार के लिए तो बस हाथी मूर्ति प्रेम ही सब कुछ है. सिकन्दरा के बारे में लोगो की धारणा यह है की इसको सिकंदर लोधी ने बसाया था.मुगलशासन काल के पहले खोजफूल के पास एक गावं जिसका नाम विलासपुर है ,यह गावं एक विकसित गावं माना जाता था.सिकन्दरा की नीव रखी जाने से विलासपुर का उजाड़ना शुरू हो गया और सिकन्दरा का विकास होना शुरू हो गया.कुछ समय पश्चात ही सिकन्दरा ने एक विकसित रूप ले लिया.
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कभी समय मिला तो जरूर घूमेंगे.
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मिलिए हमारी गली के गधे से
very important information
जवाब देंहटाएंshasan to hath par hath rakh kar vaitha hai.shasan ko to bas dalit vote aur hathi murti ki chinta hai baki to RAM HI RAKHE
जवाब देंहटाएंkanpur ke ye najare mere liye naye rahe ,sundar jaankaari di
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा इतिहास की गलियों से गुजरना।
जवाब देंहटाएं---------
देखिए ब्लॉग समीक्षा की बारहवीं कड़ी।
अंधविश्वासी आज भी रत्नों की अंगूठी पहनते हैं।
ब्लॉगजगत में पहली बार एक ऐसा "साझा मंच" जो हिन्दुओ को निष्ठापूर्वक अपने धर्म को पालन करने की प्रेरणा देता है. बाबर और लादेन के समर्थक मुसलमानों का बहिष्कार करता है, धर्मनिरपेक्ष {कायर } हिन्दुओ के अन्दर मर चुके हिंदुत्व को आवाज़ देकर जगाना चाहता है. जो भगवान राम का आदर्श मानता है तो श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र भी उठा सकता है.
जवाब देंहटाएंइस ब्लॉग के लेखक बनने के लिए. हमें इ-मेल करें.
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