गुरुवार, 29 सितंबर 2011

बाबा रामदेव जी का मेरे घर पर प्रवास

आजाद का मुगदर देख फड़क उठीं बाबा की बाहें

Sep 29, 08:19 pm
उन्नाव, जागरण संवाददाता: अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्मस्थली पहुंचे बाबा रामदेव ने जब आजाद के साहस भरे किस्से सुने तो रोमांचित हो उठे। आंगन में रखे चंद्रशेखर आजाद के मुगदर को हवा में लहराया और फिर निहाल होते उनकी वीरता को सलाम किया।
माता जगरानी की स्मृति में बने आजाद मंदिर में स्थापित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर घर में दाखिल हुए तो वहां पड़े आजाद के व्यायाम संसाधनों को देख सब भूल गये। उनकी निगाह वहां रखे मुगदरों पर पड़ी तो वे उसे उठाकर भांजने लगे। आजाद की मौसी के परिवारियों ने बताया कि यह वह मुगदर हैं जिन्हें आजाद जी खुद भांजा करते थे। यही उनकी निशानी संजो हम सब रखे हैं। यहां आये लोगों ने इन्हें भांजने का कई बार प्रयास किया लेकिन कोई अब तक सफल नहीं हुआ। उधर बाबा ने कहा योग और तप की बदौलत ही आजाद-आजाद रहे। अंग्रेजी हुकूमत को लोहे के चने चबाने को विवश कर दिया था। ऐसे महान सपूत की माटी को माथे पर लगा कर मैं धन्य हो गया।
किस देश में रहती हो नाम नहीं मालूम
उन्नाव: अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्मस्थली बदरका पहुंचे बाबा ने उनके पैतृक आवास का भ्रमण किया। यहां आजाद जी द्वारा आजादी की लड़ाई के दौरान व्यक्त किये गये संस्मरणों को पढ़ा। इसके बाद वह मकान में रह रही एक महिला श्रीमती पत्‍‌नी स्वर्गीय कल्लू साहू के पास पहुंचे। जहां पर उन्होंने श्रीमती से पूछा कि बताओ तुम्हारे देश का नाम क्या है, लेकिन सामने बाबा को देख वह सब कुछ भूल गयी। यह देख बाबा जोर से हंसे और बोले भारत इतना भी नहीं जानती हो। इसके बाद बाबा ने साथ चल रहे समिति के सदस्यों से श्रीमती को एक हजार रुपये दिलाये।

सोमवार, 12 सितंबर 2011

हिन्दी बोलने वाला मसखरा है? जाहिल है? गंवार है?



इस समय हिन्दी पखवाडा चल रहा है. ऐसे मे हिन्दी चर्चा और भी प्रासंगिक हो जाती है. हिंदी भाषा के उज्ज्वल स्वरूप का भान कराने के लिए यह आवश्यक है कि उसकी गुणवत्ता, क्षमता, शिल्प-कौशल और सौंदर्य का सही-सही आकलन किया जाए। यदि ऐसा किया जा सके तो सहज ही सब की समझ में यह आ जाएगा कि -



1. संसार की उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है,
2. वह सबसे अधिक सरल भाषा है,
3. वह सबसे अधिक लचीली भाषा है,
4, वह एक मात्र ऐसी भाषा है जिसके अधिकतर नियम अपवादविहीन हैं तथा
5. वह सच्चे अर्थों में विश्व भाषा बनने की पूर्ण अधिकारी है।
6. हिन्दी लिखने के लिये प्रयुक्त देवनागरी लिपि अत्यन्त वैज्ञानिक है।
7. हिन्दी को संस्कृत शब्दसंपदा एवं नवीन शब्दरचनासामर्थ्य विरासत में मिली है। वह देशी भाषाओं एवं अपनी बोलियों आदि से शब्द लेने में संकोच नहीं करती। अंग्रेजी के मूल शब्द लगभग १०,००० हैं, जबकि हिन्दी के मूल शब्दों की संख्या ढाई लाख से भी अधिक है।
8. हिन्दी बोलने एवं समझने वाली जनता पचास करोड़ से भी अधिक है।
9. हिन्दी का साहित्य सभी दृष्टियों से समृद्ध है।
10. हिन्दी आम जनता से जुड़ी भाषा है तथा आम जनता हिन्दी से जुड़ी हुई है। हिन्दी कभी राजाश्रय की मुहताज नहीं रही।
११. भारत के स्वतंत्रता-संग्राम की वाहिका और वर्तमान में देशप्रेम का अमूर्त-वाहन
अब मै कुछ प्रश्न आप सबके सामने रख रहा हू उम्मीद है इस पर विचार करेगे
1. हिन्दी की भारत मे क्या प्रस्थिति है?
2. अंग्रेजी बोलने वाला एक बेवकूफ  की भी  स्थिति समाज  मे उच्च क्यो मानी जाती है?
3.शुद्ध हिन्दी बोलने वाला मसखरा है? जाहिल है? गंवार है?
4. अंग्रेजी माध्यम  स्कूलो तथा अंग्रेजी युक्त उच्च शिक्षा के विरुद्ध  आन्दोलन हिन्दी के रहनुमा लोग करेगे?
5.हिन्दी लिपि के सिमटाव के पीछे किसका कुचक्र है?
6. हिन्दी के अपमान की सजा का क्या प्रावधान है?

सभी पाठको से अनुरोध है कि वे सोचे और मंथन करे कि इस सन्दर्भ मे क्या किया जाना चाहिये..
जय हिन्दी जय नागरी 


सन्दर्भ:विकिपीडिया

बुधवार, 7 सितंबर 2011

नैनीताल की वादिया: सुनहरी यादे


मैंने अलसाई सी आंखे खोली है.लेटे-लेटे खिड़की से दूर पहाड़ो को देखा पेड़ो  और पहाडियों की श्रंखलाओ के पीछे सूर्य निकलने लगा है, हलकी - हलकी  बारिश हो रही है, चिड़िया गा रही है कुछ धुंध  भी है जो पहाड़ो से रास्ता बना कर होटल की खिड़की से मेरे कमरे मैं आ रही है . पहाड़ो मैं मेरा बचपन बीता  है फिर आज नया क्या है कुछ अलग सा एहसास ये चुपके से कौन आया है मेरे पास पहाड़ो के पीछे से या उस झील की गहराई से जो चाँदी के तारो की तरह चमक रही है, मैं उसे टटोल ही नहीं पा रही हूँ. कौन है जो मन के दरवाजे से दस्तक दे कर चुप खड़ा है, मुझे  लगता है मेरा होना न होना होकर रहा गया है मेरी रुह मेरा साथ ऐसे छोड़ रही है जैसे पहाडियों की ऊची चोटी से बर्फ धीरे -धीरे पिघल रही है,  मुझे लग रहां  है किसी ने मेरा हाथ थाम  लिया है मुझे ले चला है झील के किनारे फिर देवदार के घने जंगलो की तरफ .  पहली बार इस यात्रा में मैं खुद को महसूस कर पा रही हूँ. मुझे लग रहा है कि नैनीताल की सारी धरती मेरे साथ नाच रही है आकाश नाच रहा है देवदार अन्य पेड़ो के साथ नाच रहे है. 
जब हम किसी के प्रेम में डूब जाते है तो हमारा जीवन साधारण  ऐसा ही सुन्दरतम हो जाता है जैसा कौसानी के सन सेट  पॉइंट पर सूर्य डूब रहा है पहाड़िया उसे अपने आगोश में छुपा रही है किसी बाँहे फैलाये प्रेमिका की तरह आज मैं एस सन सेट पॉइंट से दुआ करती हूँ की दुनिया का कोना- कोना प्यार की ख़ुशबू से महक उठे . किसी को किसी से नफरत ना हो, धर्म जाति सबसे ऊपर हो जाये प्रेम . जो प्यार में है प्यार करते है जिनके साथ उनका प्यार है वो इन पंक्तियों  को पढ़  कर सहमत होगे उनके लिए प्रेम का अर्थ भी यही है . प्रेम सबसे ऊपर है . वो गुलजार साहब कहते है ना की पांव के नीचे जन्नत तभी होगी जब सर पर इश्क  की छाँव होगी 
कहते है जब आप प्रेम में  जीते है तो हर तरफ फूल ही फूल खिल उठते है चारो और हरियाली छ जाती है और पहले से ही आप हरित प्रदेश में हो तो..... प्रेम  फूलो की खुशबू  की तरह आपके तन-मन में बहता है . मुझे लग रहा है देवभूमि में किन्ही दो प्रेमियों का मानस- रस सहज ही प्रवाहित हुआ होगा तभी इस भूमि में स्नेह  बहता  है उसी ने मेरे तन- मन को पागल कर दिया है. नशा, उन्माद, काव्य, नृत्य, गीत हजारो रूपों में अपनी पुरी मौलिकता  से मेरे अन्दर प्रस्फुटित हो रहा है. आज अचानक इस देवभूमि में, मैं प्रेम की बात क्यों कर रही हूँ . कौसानी के सन सेट  पॉइंट पर बैठी -बैठी मैं सूर्य को पहाडियों के पीछे डूबता देख रही हूँ. ऐसा ही होता है प्रेम भी 
भवाली का कनचनी मंदिर, अल्मोड़ा , कौसानी, रानीखेत का कलिका मंदिर  गोल्फ लिंक, हैदा खान मंदिर नैनीताल का भीम ताल , सात ताल , नौकुचिया ताल, हनुमानगढ़ी, केव गार्डन बर्न पत्थर, वाटर घुमते  हुए मुझे लगा की ना जाने कितने जोड़े प्रेम में डूबे हुए इन स्थानों  में घुमे होंगे एक दूसरे के असितत्व  में अपनी हर ख्वाहिश   का रंग घोलते   हुए इन  मंदिरों, गुफाओं, जंगलो, पहाडियों को अपने प्रेम का स्पर्श करते हुए यंहा से निकले होंगे तभी एस देवभूमि में एक अजीब तरह की मादकता है, नशा, शांति है सम्पूर्णता है मैं महसूस कर रही हूँ उन सब की संवेदना को. कितना सुन्दर कितना सुखद एक पूरे  व्यक्तित्व को सम्पूर्ण  रूप से अपने अन्दर समाहित करना . 
हर वो इंसान जिसे किसी भी रूप में प्यार चाहिए यानी जिन्दगी उसे नैनीताल  में हिमालय दर्शन जरूर करना चाहिए दूर हिम श्रंखलाए दिख रही है मानो  प्रेम  की परिभाषा सिखा रही है कह रही है देखो हम हिम श्रंखलाओ  को, हम मुक्त है कभी  बंधते बांधते  नही हमेशा पिघलते रहते है बस प्रेम भी ऐसा ही है जो मुक्त करता है बंधता नहीं जिसके साथ हम रहते है उसे हम सुख से ही नही भरते बल्कि उसके भीतर के बंद दरवाजो को खोलते भी चलते है. उसके वास्तविक रूपों को साकार करते है जब हम पिघलते है हमारे पिघलने सब साफ होकर साफ-साफ दिखने लगता है . तुम भी ऐसा ही करो जमो नहीं पिघलो  किसी के प्यार में तभी प्रेम के चरम को पाओगे. यह उदात्तता  नही यह साधना है . हिम श्रंखलाओ से प्रेम का एक नये रूप का परिचय पाकर जब मई  लवर्स  पॉइंट पहुंची तो ऐसा  लगा की किसी ने मेरी रूहों को छुआ है लवर्स  पॉइंट भी क्या खूब जगह है आप एक साथ वह पर बैठेगे तो पायेगे जैसे की देह छुट गयी है और आपकी आत्मा एक दुसरो में बध  गयी है और ऐसे बध गई है की आप एक दूसरे  की संभावनाओ को देख सकते है, उन्हें संवार  सकते है. यह पर आकर बुद्धि नहीं दिल की सुनते है दिल में छुपे प्रेम को सुनते है बुद्धि रूपी गणित की नही प्रेम को पाने का द्वार  तो प्रेम है गणित नहीं यह आकर ही ये समझ पाते  है. आप के प्रेमी  या प्रेमिका  शरीर से बढकर एक आत्मा है और किसी की आत्मा को दुखाया नहीं करते उनके मन और मस्तिष्क का ख्याल रखिये लवर्स  पॉइंट कुछ ऐसा ही मुझे समझा गया और शायद मेरे साथ सारी कायानत को सदियों से समझाता चला आ रहा है तभी नैनीताल की वादियों में प्यार के गीत आज भी गूंजते है और सदियों तक गूंजते रहेगे और ये गूंज आकाश, धरती  हर वो जगह फैल जाय जहां    ईष्या, अत्याचार, पाखंड , आतंक है, इसी आशा में मैंने अपना सर गाड़ी की सीट पर टिका लिया .

              




















                                            सबके दिलों में ऐसे ही प्यार की ज्योति जलती रहे