दिनांक ३१ /३/११ तथा ३/४/११ को छपे पोस्ट में छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय में होने वाली नक़ल और उसके रोकथाम हेतु कुलपति द्वारा किये गए टिटिहरी प्रयासों का विवेचन राजेश
विश्नोई द्वाराकिया गया था जिसमे प्रबुद्ध ब्लोग्गेर्स ने भी भाग लिया था. इन पोस्टो पर आधारित खबर कल दिनांक ७/४/११ को दैनिक जागरण में पृष्ठ तीन पर छपी जिसमे कूटा के एम् पी सिंह व बी डी पाण्डेय ने त्वरित कार्यवाही करते हुए जांच एजेंसी बैठाने की मांग की. कल राजेश जी का ई मेल मेरे पास आया जिसमे कानपुर देहात में हो रहे एकेडेमिक कुचालो का कच्चा चिटठा बयान था.
मसौदा कुछ इस तरह है
१ कुलपति सहगल ने कानपुर देहात के डॉ राम मनोहर लोहिया महाविद्यालय जुरिया, में जाकर खुद नक़ल पकड़ी थी.
२. कानपुर देहात के महाविद्यालयों में उड़नदस्ते वसूली के लिए घूमते है . रूपये लेकर नक़ल की इजाजत देते है . सबूत के तौर पर कापियों के उत्तरों का मिलान कर लिया जाय.
३.मेरा अनुमोदन इसी विश्वविद्यालय में है. मेरा वेतन ७००० है जो की बैंक द्वारा मिलती है. ऐसा ही सभी अध्यापकों के साथ है.
४.वी जी एम् महाविद्यालय दिबियापुर में व्यक्तिगत छात्रों को बड़ी मात्र में जांच पात्र ही नही दिए गए. जो छात्र एक विषय से परीक्षा दे रहे थे उनकी परीक्षा बिना जांच पात्र के संपन्न हो गयी इनसे कह दिया गया की अपना कापी नंबर कागज पर लिख ले . कुछ के प्रवेश पात्र हमारे पास है.
५.कानपुर देहात के सभी निजी महाविद्यालयों में अभी तक जम के नक़ल हो रही है. यहाँ तक की श्यामपट्ट भी साईंस के पेपर में चलाये गए.सब प्रबंधक के कहने पर. कापी मिलान किया जा सकता है.
६.जहा नक़ल बोल के कराई जाती है वहा नक़ल शुरू या फिर बाद में कराई जाती है. शुरू और बाद के मिलान कर ले.
७. सभी महाविद्यालय में संस्थागत और व्यक्तिगत छात्र नक़ल कर रहे है.
८.परीक्षा केंद्र को मॉस कापींग से बचाने के लिए कुछ निजी महाविद्यालय गेस पेपर से प्रश्न काट कर बिगड़े क्रम में पर्ची बाँट कर नक़ल करा रहे है
9. निजी महाविद्यालयों में काफी टीचर सरकारी नौकरी कर रहे है.
इस तथ्य को पूरी तरह से बेनकाब करने के लिए राजेश जी को अपनी नौकरी से हाथ धोना पद सकता है.
हो गयी है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
जवाब देंहटाएंइस हिमालय से कोई गंगा निकालनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नही
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
हम लोगो का प्रयास रंग लायेगा एक बात नोट की जाय कि कुलसचिव माननीय महेश चन्द्र को भगा दिया गया है
इस खुशखबरी पर मुह कुरकुरे कीजिये मीठा तो तब करेगे जब उलटे सिस्टम को सीधा कर दे
जय हिंद
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शर्मनाक
जवाब देंहटाएंMR PAWAN K MISHRA,
जवाब देंहटाएंTHIS IS NICE EFFORT OF YOU AND YOUR TEAM BUT BEAWARE OF DR B D PANDEY AND DR M P SINGH THESE TWO PERSONS ROBBED SELF FINANCE COLLEGES DURING THEIR FLING SQUAD. THIS TIME THEY ARE OUT OF THE KUTA AND ALSO THE FLING SQUAD SO THEY ARE TEARING.
DR S. SRIVASTAVA
gud work done . hope it will help to clean and make pious our education system.
जवाब देंहटाएंWeldone....
जवाब देंहटाएंमेरी भी चाहत है ये सूरत बदलनी चाहिए. राजेश जी के हौसले को सलाम करता हूँ.
राजेश जी की हिम्मत वाकई काबिले तारीफ है. अगर आप पर जरा सी आंच आयी तो हम जवाब देना जानते है. साथ ही मै पवन जी को उनके मार्गदर्शन प्रोत्साहन और सहयोग के लिए बधाई देता हूँ.
जवाब देंहटाएंज़िंदगी इक आग है यह आग जलनी चाहिए
बेहसी इक बर्फ है उसको पिघलनी चाहिए
हो गली कूचों में चर्चा बात ये काफी नही
भ्रष्टता के पाँव की धरती दहलनी चाहिए
डॉ एस श्रीवास्तव जी यदि आप अपना वास्तव में नाम बताते तो वास्तव में खुशी होती. और भ्रस्ताचार के खिलाफ मुहीम में शामिल होते इस ब्लॉग के संचालक गण स्थितयों और व्यक्तिओं को भली भाँती पहचानते है आप परेशान न हो
जवाब देंहटाएंI feel pity at the knowledge of “Dr. S Shrivastav” writing under the name of “Anonymus”. He/she is perhaps not aware of the facts of the situation going on in the university. He/she belongs to the category of those prejudiced and timid persons who are spineless and therefore are all the time guided better by the evil forces of nature. Such persons, in fact, are not interested in the uprooting any evil, they are just like the puppets bought by the corrupt people to spread false propaganda against the honest persons when corrupt persons are in danger of being exposed. For the information of the readers of this blog and for the information of “Mr./Ms. Anonymus” I wish to tell that I had only once been as a member of the flying squad and that too more than ten years back, when the number of self financed colleges was negligible. I would be happy if the records of the flying squad of the university for that year are made public so that “Mr./Ms. Anonymus” could see what I did then. Dr. B.D.Pandey
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंI feel pity at the knowledge of “Dr. S Shrivastav” writing under the name of “Anonymus”. He/she is perhaps not aware of the facts of the situation going on in the university. He/she belongs to the category of those prejudiced and timid persons who are spineless and therefore are all the time guided better by the evil forces of nature. Such persons, in fact, are not interested in the uprooting any evil, they are just like the puppets bought by the corrupt people to spread false propaganda against the honest persons when corrupt persons are in danger of being exposed. For the information of the readers of this blog and for the information of “Mr./Ms. Anonymus” I wish to tell that I had only once been as a member of the flying squad and that too more than ten years back, when the number of self financed colleges was negligible. I would be happy if the records of the flying squad of the university for that year are made public so that “Mr./Ms. Anonymus” could see what I did then. Dr. B.D.Pandey
जवाब देंहटाएंआदमी-प्रकार
जवाब देंहटाएंआदमी दो तरह के होते हैं , एक वो जो स्वतः संचलित होकर ठीक रहते हैं । दूसरे वो जो भय एवं दबाव में ठीक रहते हैं । एक वे होते हैं जो आपके लाभ एवं हानि दोनों में बराबर के साझीदार बनते हैं ; दूसरे वे जो केवल आपके लाभ में साझीदार बनते हैं और आपके साथ अपनी हानि की संभावना में बहुत दिन तक आपके साथ नहीं टिक पाते और कोई न कोई बहाना बना कर किनारे हो लेते हैं। सही साथी वही है जो स्वतः संचालित ठीक है, जो आपके साथ हानि लाभ की परवाह किये बिना जुडा हुआ है। भय, दबाव में ठीक रहने वाले, मात्र आपके लाभ ( यानी पद , प्रतिष्ठा, पैसा, प्रसिद्धी आदि ) बांटने वाले लोगों से उचित दूरी बनाये रखने में ही भलाई है अन्यथा वे कष्ट के कारण बनते हैं।
ghotale to aur bhi hai par darataa hu ki kahi apni jaan se hath naa dho baithu kyoki utaar pradesh ke adhikansh self finance college gundo aur shasan me shaamil logo ke dvaraa chalaaye jaa rahe hai.vastav me niji mahavidhyala ki neev rakhi hi bhrashtaachaar par hai.aaj shaayaad hi koi niji mahavidhyalaya esa hoga jisake manak vastav me pure ho.kahi par aproved teacher nahi hai hai to kahi par garib chhatro ke liye kitabe nahi hai.aaj mai is blog ke madhyam se APEAL kartaa hu sabhi self finance college me kary kar rahe teacher bandhuo se ki vo is ladai me mera sath de
जवाब देंहटाएंइस साहसिक कार्य के लिए हार्दिक बधाईयां।
जवाब देंहटाएंये शमा जलती रहे, लेकिन जरा संभल कर।
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प्रेम रस की तलाश में...।
….कौन ज्यादा खतरनाक है ?
प्रिय राजेश विश्नोई जी,
जवाब देंहटाएंआपका भय स्वाभाविक है. परन्तु यह भी सत्य है की इस ब्लॉग को पढ़ रहा हर एक बुद्धिजीवी जो की जागरूक है आपके अधिकांश विचारों से सहमत है. शासन,प्रशासन,मीडिया के लोग भी चिंतित हैं. ऐसा नहीं है की विश्वविद्यालय में केवल भ्रष्ट ही बचे हैं. बस जरूरत है समस्त ईमानदार लोगों के एक प्लेटफोर्म पर आने की. एक ईमानदार व्यक्ति सौ बेईमानों पर आज भी भारी है. शिक्षा में जब भी अराजकता का समावेश हुआ है समाज में कानपुर ब्लोग्गेर्स जैसे असोसिएशन बने हैं. शिक्षा सदैव शांति एवं ईमानदारी के वातावरण में फलती फूलती है. शिक्षा में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरुद्ध बिगुल बज चुका है. अगले पांच वर्षो में ऐसी योजनायें लागू की जानी हैं की भ्रष्ट लोग वैसे ही कन्नी काटने लगेंगे. बशर्ते सब मिलकर विसंगतियों के विरुद्ध उचित माध्यम सेलगातार आवाज उठाते रहें. डॉ. बी. डी. पाण्डेय
शिवलोक स्नातकोत्तर महाविद्यालय मेहरबान सिंह का पुरवा कानपुर में बोल बोल कर नक़ल करायी जा रही है ...मेहरबान सिंह का पुरवा कानपुर के सुखराम सिंह यादव के कालेज नक़ल के बड़े अड्डे मात्र है.सुखराम सिंह यादव के दर से कोई भी वहा नक़ल पकड़ने नहीं जाता है ... विश्वास न हो तो कापिया मिला कर देख ली जाये ... सब दूध का धुध पानी का पानी हो जायेगा सुखराम सिंह यादव के में ह रबान सिंह का पुरवा कानपुर के सभी कालेजों के टीचर्स के अनुमोदन भी ९० प्रतिशत फर्जी हैं ...स्ववित्त पोषित कालेजों में सबसे भ्रस्त कालेज मेहरबान सिंह का पुरवा कानपुर के कालेज हैं ...सबसे भ्रस्त मालिक सुखराम सिंह यादव है ..
जवाब देंहटाएंकुलपति, राजेश जी, एवं कूटा पदाधिकारी बधाई के पात्र हैं, पवन जी आप भी जो इस जागरण के कार्य मे माध्यम बने हैं। आज जब कि सभी क्षेत्रों मे भ्रष्टाचारियों की पौ-बारह है ऐसे मे शिक्षा क्षेत्र इससे अछूता होगा ऐसा कल्पना करना तो निश्चित ही भ्रम की दुनिया मे जीने जैसा होगा, पर यह एक भयावह तस्वीर हमारे समक्ष प्रस्तुत करता है। जब हमारे नौनिहाल यह सीख जाएगे कि कोइ भी काम करने के दो तरीके होते हैं, तो बडे हो कर वो सदैव ही सरल तरीके को चुनना पसंद करेंगे, चाहे वो गलत ही क्यों न हो।
जवाब देंहटाएंऐसे मे राष्ट्र की जिम्मेदारी उन कंधों पर होगी जो इसके सर्वथा अनुपयुक्त हैं, फिर यही लोग (जो इस भ्रष्टाचार मे शामिल हैं) गिरते स्तर पर चिंता जताते हुए घडियाली आंसू बहाएगे।
पुनःश्च आप सभी ने अपने ऊपर खतरा उठाते हुए यह पुण्य कृत्य अपने हाथ मे लिया है, ईश्वर आपको सफल बनाए।
कानपूर ब्लोगर्स असोसिएसन ब्लॉग के लोग कायर है .... इसी लिए मेरी सच्ची बात ब्लॉग से मिटा दिए है ...
जवाब देंहटाएंफालतू बकवास लिख रहे है ....... सच्ची बात समाज के सामने न आने देना भी नीचता ही है ...आप सब लोग पहले अपने आप को देखिये फिर समाज सुधर की बात करिए .... और चूड़ियाँ भी पहन लीजिये
कुलपति जी बधाई के पात्र हैं,
डॉ आर ० के ० सिंह (dbs ) ,डॉ ऍम ० पी0 सिंह अर्मापुर कॉलेज, डा ० निरंजन सिंह मंधना ,डा ० अलोक सिंह (dbs ) ये सभी शिक्षक राजनीति के नाम पर मॉल बना रहे हैं .कानपूर ब्लोगर्स असोसिएसन के लोगों को सच्ची टिप्पड़ियां मिटने में शर्म भी नहीं आई सब की आत्मा मर गयी है .कुलपति जी बधाई के पात्र हैं, burai ke nahi .
जवाब देंहटाएं. एस ० एस ० डिग्री कालेज मेहरबान सिंह के पुरवा कानपुर वाले स्कूल में बोल बोल कर नक़ल करायी जा रही है ...और आप मेरे कमेंट्स मिटा कर ...सिर्फ कुलपति पर निशाना कर रहे है ...कम से कम यह बन्दा मूल्यांकन में नंबर बढ़ाने के धंधे को रोकने का एक प्रयास तो कर रहा है ... जिससे बाबुओं और टीचरों की काली कमाई रुकेगी .. और पात्र छात्र ही आगे आ सकेंगे .
ब्लोग्गेर्स असोसिअशन पर अधिकांश लेख लिखने वाले, विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले वास्तव में बधाई के पात्र हैं ये कायर नहीं, पथ प्रदर्शक हैं, नयी चेतना के सृजक हैं.. जो भी हो एक बात अवश्य है की प्रतिभा जी भी इन सभी बातों से भली भांति अवगत हैं; हाँ उनकी इस मुद्दे पर संवेदन शीलता अधिक है, शायद वे तात्कालिक हल की सभी से अपेक्षा करती है जो कि असंभव है क्योंकि सबसे बड़ी बात यह है कि नक़ल का समाजीकरण हो चुका है. समाज इसको स्वीकार्यता दे रहा है. अपने दो दशकों से अधिक के एक शिक्षक के रूप में अनुभव के दौरान बहुत से मूल्यों का पतन महसूस किया है. वर्तमान में शोर्ट कट से ऊपर उठना और धन प्राप्ति के लिए किसी भी माध्यम को अपना लेना फैशन सा हो गया है. मैंने स्वयं देखा है कि छात्र/छात्रा के घर वाले उसके, भाई, पिता, चाचा आदि उसे नक़ल कराने पर उतारू हैं. और तो और परीक्षा केन्द्रों पर तैनात पुलिस, प्रशासन के अधिकारी तक अगर उनका कोई सगा सम्बन्धी परीक्षा दे रहा है तो उसे नक़ल कराने का प्रयास करते हैं. एक बात गौर करने वाली अवश्य है कि शिक्षक भी उसी समाज का अंग है और उसके स्तर में भी गिरावट आई है वह भी नक़ल करने करवाने में शामिल हो गया. पहले समाज के अन्य लोग फिर शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी, कर्मचारी और अंत में शिक्षक, धीरे धीरे सभी इसकी चपेट में आते चले गए. आज जो कुछ हो रहा है इसी का परिणाम है. स्ववित्त पोषित कालेजों के प्रबंधकों के धन कमाने क़ी लालसा नें शिक्षा व शिक्षण व्यवस्था का जो हाल किया है वह सबके सामने है. पहले कालेज मंदिर के पर्याय के रूप में स्थापित किये जाते थे परन्तु आज ये अधिकांशतः धन उगाही एवं शोषण के केंद्र हो गए हैं. शिक्षकों का सम्मान खो रहा है. सरकारी गैर समझ नीतियों के चलते समाज में आज देखिये कितने प्रकार के शिक्षक उत्पन्न किये जा रहें हैं--शासकीय महाविद्यालय के शिक्षक, अनुदानित अशासकीय महाविद्यालय के शिक्षक, अशासकीय महाविद्यालय में स्ववित्त पोषित विभागों के शिक्षक, मानदेय शिक्षक , अंशकालिक शिक्षक, एवं स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों के शिक्षक.आदि. महाविद्यालयों में इतनीं प्रकार के शिक्षक हैं. सभी के वेतन अलग अलग हैं परन्तु स्ववित्त पोषित महाविद्यालयों के शिक्षकों क़ी स्थिति सबसे ख़राब है. क्योंकि आजतक इतने वर्षो बाद भी इनके लिए कोई एक्ट नहीं बना है. सब कुछ अर्दिनेंस के सहारे चल रहा है. मैंने स्वयं इस संबध में कई ज्ञापन सर्कार को दिए और हाल ही में ९ अप्रैल को शिक्षा मंत्री जी उच्च शिक्षा के क्षेत्रीय कार्यालय का उद्घाटन करने आये तो फिर इस सन्दर्भ में ज्ञापन दिया.
जवाब देंहटाएंऔर भी बहुत सी बातें हैं फिर कभी चर्चा करूंगा. परन्तु इतना मेरा निश्चित रूप से मानना है कि इस ब्लॉग नें शिक्षा में व्याप्त कुरीतियों को उजागर करने को एक नयी दिशा दी है. एक विचार के लोगों को एकत्रित होने को एक मंच दिया है. लाठी गोली से विचार नहीं बदल जाते, मानसिकता नहीं बदलती, चिंतन एवं सकारात्मक सोच से ही विचार बदला करतें हैं, मानसिकता बदलती है . बुद्धिजीवी वर्ग के चिंतन हेतु शिक्षा प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार, विसंगतियों को उनके सामने लाने को जो साहस इस ब्लॉग से जुड़े अधिकांश सदस्यों ने किया है वह प्रशंसनीय एवं अनुकरणीय है. बुद्धिजीवी के पास कलम ही उसका हथियार है. बस जरूरत है उसे मौका देखकर ठन्डे दिमाग से उठाने क़ी. सफलता निश्चित है. डॉ. बी. डी.पाण्डेय