शनिवार, 5 मार्च 2011

जब किसी के लिए मन में श्रद्धा और प्यार होता है तो मन कवि हो जाता है.

जब किसी के लिए  मन में श्रद्धा और प्यार होता है तो मन कवि हो जाता है. मेरा मन भी कुछ इस तरह पिछले कई  सालो से महसूस कर रहा है. ये भाव मै इस मंच के द्वारा प्रस्तुत कर रही हूँ. आप सब जानते है कि मेरे भाव किनको समर्पित है अगर नही जानते है तो अपने आप पता चल जाएगा.

                                                                   










                     १.
कुछ बीते हुए लम्हों से मुलाकात हुयी
कुछ भूले हुए सपनो से बात हुयी
अतीत में निहारने का मन जब हुआ
आपकी यादों से शुरुआत हुयी
पलकों पे छाया है आपका ही जादू
लोग कहते है कि ये उदास हुयी

                  २.
तुम मेरा स्वप्न नहीं
जीवन की सच्चाई हो
यथार्थ हो मेरा
और अक्षय अरुणाई हो
जीवन का स्पंदन हो
धड़कन की शहनाई हो



6 टिप्‍पणियां:

  1. मार्तंड रश्मि हो तुम स्वर्णिम सुघड़ सुप्रभात की
    सलिल ह्रदय में रहे , जलते रहे दिये मधुर साथ की .

    सुन्दर भाव प्रवण रचना .

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  2. a very nice attempt .its good that your heart is full of love and thats inspired you for writing ,
    warnaa aksar gam ko kam karne ke liye log likhne ko bahana banaa lete hai .
    jamaana kuch kartaa nahi bas log afsaanaa banaa dee hai

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  3. जब किसी के लिए मन में श्रद्धा और प्यार होता है तो मन कवि हो जाता है.
    .
    सही कहा है.
    .
    सुंदर प्रस्तुति

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  4. sach kaha apne,prem bhav hi etna komal ar pavitra hai wrna hm ese yun hi eishwar ki Ibaadat nhi kehte..

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  5. सुन्दर! भावप्रवण रचना !
    आशीष जी की टिप्पणी भी बहुत सुन्दर है।

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  6. बहुत सुन्दर कविता..बधाई.
    _________________________
    'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है.

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