किदवई नगर चौराहे से थोड़ी दूर चलने पर तार बंगलिया नाम से मशहूर सड़क मिलती है इसी सड़क के किनारे तार बंगलिया के एक टुकड़े को संरक्षित कर इसे संजय वन का नाम दिया गया इसके बगल में जूही फोरेस्ट रेंज भी है . संजय वन समस्त दक्षिण क्षेत्रवासियों के लिए नंदन कानन से कम नही है सुबह सुबह यहाँ की चहलपहल देखते ही बनती है कही कोइ ताली बजा के गा रहा है कोई जोर जोर से प्राणायाम कर रहा है कई समूह में हस रहे है बगल के मंदिर में योग क्रिया चल रही है बाहर मत्थे और फ्रूट चाट बिक रहा है . संजय वन का मेरी जिन्दगी में अहम् भूमिका थी जिसकी चर्चा फिर कभी करूंगा .आज मै किरन के साथ वहा शाम को गया था अचानक मुझे रोने और सिसकने की आवाज सुनायी दी मैंने ध्यान से देखा तो एक मानवाकृति घायल और कृशकाय अवस्था में नाली के पास दिखी मै लपक कर उसके पास गया और पूछा की आप कौन है उसने कहा मै तुम्हारा प्यारा संजय वन हूँ मैंने उसे सहारा दिया फिर ऐसी गति का कारन पूछा तो पता चला की यहाँ के पदों पर योजना बद्ध रूप से कुल्हाड़ियाँ चलायी जा रही है वह मुझे उन जगहों पर ले गया जहा मैदान सफाचट था बगल में चौकी दार के कमरे के पास दूध की बिक्री हो रही थी वह तमाम गाये बंधी थी अर्थात यहाँ पशुपालन भी हो रहा था . वृक्षारोपड़ हेतु प्रयुक्त जमीन ठूंठ सी पडी थी वह के मुख्यद्वार की शोभा तो होर्डिंग्स थी म्युसियम पर ताला लगा था .अन्दर एक जोड़ा भी टहल रहा था वह के पूर्व चौकीदार ने बताया की यहाँ सब की मिली भगत है . मै हतप्रभ रह गया जिसे हम प्यार करते है उसकी यह दशा जो हमें ठंडी छांव देता है उसके साथ ऐसा सलूक मेरी यह पोस्ट महज ब्लॉग की शोभा बढाने हेतु नही है वरन संजय वन की दुर्गति रोकने हेतु है . वह के कुछ स्नैप्स आप लोग भी देखिये . मेरी प्रिंट मीडिया के ब्लॉगर बंधुओं से निवेदन है कि वे इस मुद्दे को जनता तक ले जाए ताकि फिर कही से ऐसा करुण रुदन सुनायी न दे
संजय वन का मुख्यद्वार है या प्रचार माध्यम
मुख्य प्रवेश द्वार के ठीक बाद चौकीदार के लिए केबिन जिसमे हमेशा ताला लटका रहता है
म्यूजियम जो आज तक खुला ही नही
कुछ बोलोगे तो इसी तरह हाथ तोड़ कर मुह में गुम्मे भर दिए जायेगे
जानवरों को बाँधने से प्रभावित क्षेत्र
संजय वन के अन्दर बंधे जानवर
पशु शाला के अन्दर दुधारू गाये
कंडे का कारोबार
कटे पटे पेड़
वन के अन्दर सब सफाचट है
मोती झील नही तो संजय वन सही
गिरे हुए दरख़्त के साथ मै
फलता फूलता धंधा दूध का
कटे हुए पेड़
मेरी सहायक किरण
योग के नाम पर जय हो
जुलाई में रोपित पौधों की दुर्गति
वन का कबाड़ घर
पी के टुन्न एक नशेड़ी
संजय बन का अरण्य रुदन शायद वन विभाग के कानों तक पहुचे .तो स्थिति सुधरे .
जवाब देंहटाएंसंजय वन की यह दुर्दशा देख दुःख हुआ.भाई पहली तस्वीर और मुह में गुम्मे वाली तस्वीर देख के तो समझ ही नहीं आया की हंसूं या रोऊँ . अच्छी प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत दुख हुआ भाई आपके इस संजय वन की करुण कथा सुनकर। बहुत अच्छे और सच्चे ढंग से बात उठाई है आपने।
जवाब देंहटाएंtell me if do some revolutionary work
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