बगिया में है खिल रहे , शुभ्र धवल गुलाब
उर्ध्वाधर ग्रीवा,चन्द्रकिरण में नहाये हुए
भ्रमर गीत गुनगुना रहे , मुदित मन रहा नाच
आती सोंधी सुगंध छन के , है घनदल छाये हुए .
मधुकर का मिलन गीत , पिक की विरह तान
मंदिर की दिव्य वाणी , मस्जिद की अजान
कलियों की चंचल चितवन , पुष्प का मदन बान
लतिका का कोमल गात, देख रहा अम्बर विहान
कोयल की मधुर कूक ,क्या क्षुधा हरण कर सकती है ?
कर्णप्रिय भ्रमर गीत , माली का पोषण कर सकती है ?
सुमनों के सौरभ हार, सजा सकते है पल्लव केश
बिखरा सकते है खुशबू, बन सकते है देवो का अभिषेक
पर क्या ये सजा सकते है , दीन- हीन आँखों में ख्वाब ?
हमे जरुरत है किसकी ज्यादा , सोचिये गेंहू बनाम गुलाब?
उर्ध्वाधर ग्रीवा,चन्द्रकिरण में नहाये हुए
भ्रमर गीत गुनगुना रहे , मुदित मन रहा नाच
आती सोंधी सुगंध छन के , है घनदल छाये हुए .
मधुकर का मिलन गीत , पिक की विरह तान
मंदिर की दिव्य वाणी , मस्जिद की अजान
कलियों की चंचल चितवन , पुष्प का मदन बान
लतिका का कोमल गात, देख रहा अम्बर विहान
कोयल की मधुर कूक ,क्या क्षुधा हरण कर सकती है ?
कर्णप्रिय भ्रमर गीत , माली का पोषण कर सकती है ?
सुमनों के सौरभ हार, सजा सकते है पल्लव केश
बिखरा सकते है खुशबू, बन सकते है देवो का अभिषेक
पर क्या ये सजा सकते है , दीन- हीन आँखों में ख्वाब ?
हमे जरुरत है किसकी ज्यादा , सोचिये गेंहू बनाम गुलाब?
आज के मिलावट के ज़माने में आपकी शुद्ध एवं तत्सम कविता की बात ही कुछ और है
जवाब देंहटाएंगेहू बनाम गुलाब बेनीपुरी जी याद आ गए
जिन्दगी की बुनियादी जरूरतें जब हमारी पूरी होती है तभी हम खुशियों की कल्पना कर सकते हैं
जवाब देंहटाएंएक भूखा व्यक्ति क्या सपने देखेगा । और यदि देखेगा भी तो उसे रोटी के सिवा देखिगा भी क्या ।
आपकी शुद्ध रचनाये अप्रैल शावर सी लगती है
जवाब देंहटाएंआनंद आ गया