शिव के बारे में अधिकतर लोंग अल्प या भ्रामक ज्ञान रखते है . यही कारण है की जब कोइ अन्य मजहब का व्यक्ति शिव के बारे में पूछता है तो हम न तो शिव जी के बारे में ठीक बता पाते है और न ही उन कुतर्को को सही जवाब दे पाते है जो शिव और शिव लिंग के बारे में प्रचारित किये जा रहे हैं . इस के लिए शिव का यथार्थ स्वरुप जानना आवश्यक है .
शिव एक तत्व हैं .
शिव तत्व से तात्पर्य विध्वंस या क्रोध से है .दुर्गा शप्तशती के पाठ से पहले पढ़े जाने वाले मंत्रो में एक मन्त्र है
'' ॐ क्लीं शिवतत्त्वं शोधयामी नमः स्वाहा ''
दुर्गा शप्तशती में आत्म तत्व ,विद्या तत्व के साथ साथ शिव तत्व का शोधन परम आवश्यक माना गया है इस के बिना ज्ञान प्राप्ति आसंभव है .जरा सोचिये अगर हम किसी बच्चे को क्रोध करने से बिलकुल ही रोक दे तो क्या उस का सर्वांगीर्ण विकास संभव है .बच्चे का जिज्ञासु स्वभाव मर जायेगा और वो दब्बू हो जायेगा .
शिव तत्व विध्वंस का का प्रतीक है. सृजन और विध्वंस अनंत श्रंखला की कड़ियाँ है जो बारी बारी से घटित होती हैं .ज्ञान ,विज्ञानं ,अद्यात्मिक , भौतिक, जीवन के किसी भी छेत्र में यह सत्य है .
ब्रह्मांड की बिग बैंग थेओरी इस बात को प्रमाणित करती है . ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति एक महा विस्फोट के बाद हुई .. विस्फोट से स्रजन हुआ न की विनाश .
ऋषि मुनियों ने अनेक चमत्कारिक खोजे की है पर शिव तत्व की खोज अदभुद थी जो ब्रह्माण्ड के सारे रहस्य खोलते हुए जीवन मरण के चक्र से मुक्त करती थी .शिव का महत्त्व इतना है की वे सब से ज्यादा पूज्य है .इसी लिए कहा गया है की
सत्यम शिवम् सुन्दरम
अर्थात
शिव ही सत्य है
सत्य ही शिव है
शिव ही सुन्दर है
. शिव और शक्ति
शिव और शक्ति मिल कर ब्रम्हांड का निर्माण करते है .इस श्रसटी में कुछ भी एकल नही है अच्छाई है तो बुराई है ,प्रेम है तो घ्राण भी है .यदि एक सिरा है तो दूसरा शिरा भी होगा .एक बिंदु के भी दो सिरे होते है .
जिस वक्त सिर्फ १ होगा उसी वक्त मुक्ति हो जाएगी क्यों की कोइ भी वास्तु अकेले नही होती है अर्थात दोनों एक साथ मिलने पर ही मुक्ति संभव है .
एक परमाणु पर कोइ आवेश नही होता है पर जब उस से एक इलेक्ट्रान निकल जाता है तो उस पर उतना ही धन आवेश आ जाता है जितना की इलेक्ट्रान पर ऋण आवेश . इस प्रकार आयन (इलेक्ट्रान निकलने के बाद परमाणु आयन कहलाता है ) और इलेक्ट्रान दोनों ही तब तक क्रियाशील रहते है जब तक वे फिर से न मिल जाये .
ब्रह्माण्ड में दो ही चीजे है , ऊर्जा और प्रदार्थ
हमारा शरीर प्रदार्थ से निर्मित है और आत्मा ऊर्जा है . बिना एक के दूसरा अपनी अभिवयक्ति नही कर सकता . दया ,छमा, प्रेम आदि सारे गुण तो आत्मा रुपी दर्पण में ही प्रतिबिंबित होते है .
शिव प्रदार्थ और शक्ति ऊर्जा का प्रतीक है . दुर्गा जी 9 रूप है जो किसी न किसी भाव का प्रतिनिधित्व करते है .
अब जरा आईसटीन का सूत्र देखिये जिस के आधार पर आटोहान ने परमाणु बम बना कर परमाणु के अन्दर छिपी अनंत ऊर्जा की एक झलक दिखाई जो कितनी विध्वंसक थी सब जानते है.
e / c = m c
इस के अनुसार पदार्थ को पूर्णतयः ऊर्जा में बदला जा सकता है अर्थात दो नही एक ही है पर वो दो हो कर स्रसटी का निर्माण करता है .
ऋषियो ने ये रहस्य हजारो साल पहले ही ख़ोज लिया था.
भगवान अर्ध नारीश्वर इस का प्रमाण है .
शिवलिंग क्या है ?
राम चरित्र मानस में शिव की स्तुति की ये लाइन देखिये
'' अखंडम अजन्म भानु कोटि प्रकाशम् ''
अर्थात जो अजन्मा है अखंड है और कोटि कोटि सूर्यो के प्रकाश के सामान है .जिस का जन्म ही नही हुआ उस का फिर उस के लिंग से क्या तात्पर्य है .
ब्रह्म - अंड,
अर्थात ब्रह्माण्ड अंडे जैसे आकर का है .
शिवलिंग ब्रह्माण्ड का प्रतीक है .
पूजा से हमें शक्ति मिलती है .शिवलिंग की पूजा शिव -शक्ति के मिलन का प्रतीक है जो हमें सांसारिक बन्धनों से मुक्त करती है .
इन रहस्यों को जो जानता है वो शिव भक्ति से सराबोर हो जाता है फिर वो किसी भी मजहब का हो ..शिव जी के अनेक मुस्लिम भक्त भी है .
शिव एक तत्व हैं .
शिव तत्व से तात्पर्य विध्वंस या क्रोध से है .दुर्गा शप्तशती के पाठ से पहले पढ़े जाने वाले मंत्रो में एक मन्त्र है
'' ॐ क्लीं शिवतत्त्वं शोधयामी नमः स्वाहा ''
दुर्गा शप्तशती में आत्म तत्व ,विद्या तत्व के साथ साथ शिव तत्व का शोधन परम आवश्यक माना गया है इस के बिना ज्ञान प्राप्ति आसंभव है .जरा सोचिये अगर हम किसी बच्चे को क्रोध करने से बिलकुल ही रोक दे तो क्या उस का सर्वांगीर्ण विकास संभव है .बच्चे का जिज्ञासु स्वभाव मर जायेगा और वो दब्बू हो जायेगा .
शिव तत्व विध्वंस का का प्रतीक है. सृजन और विध्वंस अनंत श्रंखला की कड़ियाँ है जो बारी बारी से घटित होती हैं .ज्ञान ,विज्ञानं ,अद्यात्मिक , भौतिक, जीवन के किसी भी छेत्र में यह सत्य है .
ब्रह्मांड की बिग बैंग थेओरी इस बात को प्रमाणित करती है . ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति एक महा विस्फोट के बाद हुई .. विस्फोट से स्रजन हुआ न की विनाश .
ऋषि मुनियों ने अनेक चमत्कारिक खोजे की है पर शिव तत्व की खोज अदभुद थी जो ब्रह्माण्ड के सारे रहस्य खोलते हुए जीवन मरण के चक्र से मुक्त करती थी .शिव का महत्त्व इतना है की वे सब से ज्यादा पूज्य है .इसी लिए कहा गया है की
सत्यम शिवम् सुन्दरम
अर्थात
शिव ही सत्य है
सत्य ही शिव है
शिव ही सुन्दर है
. शिव और शक्ति
शिव और शक्ति मिल कर ब्रम्हांड का निर्माण करते है .इस श्रसटी में कुछ भी एकल नही है अच्छाई है तो बुराई है ,प्रेम है तो घ्राण भी है .यदि एक सिरा है तो दूसरा शिरा भी होगा .एक बिंदु के भी दो सिरे होते है .
जिस वक्त सिर्फ १ होगा उसी वक्त मुक्ति हो जाएगी क्यों की कोइ भी वास्तु अकेले नही होती है अर्थात दोनों एक साथ मिलने पर ही मुक्ति संभव है .
एक परमाणु पर कोइ आवेश नही होता है पर जब उस से एक इलेक्ट्रान निकल जाता है तो उस पर उतना ही धन आवेश आ जाता है जितना की इलेक्ट्रान पर ऋण आवेश . इस प्रकार आयन (इलेक्ट्रान निकलने के बाद परमाणु आयन कहलाता है ) और इलेक्ट्रान दोनों ही तब तक क्रियाशील रहते है जब तक वे फिर से न मिल जाये .
ब्रह्माण्ड में दो ही चीजे है , ऊर्जा और प्रदार्थ
हमारा शरीर प्रदार्थ से निर्मित है और आत्मा ऊर्जा है . बिना एक के दूसरा अपनी अभिवयक्ति नही कर सकता . दया ,छमा, प्रेम आदि सारे गुण तो आत्मा रुपी दर्पण में ही प्रतिबिंबित होते है .
शिव प्रदार्थ और शक्ति ऊर्जा का प्रतीक है . दुर्गा जी 9 रूप है जो किसी न किसी भाव का प्रतिनिधित्व करते है .
अब जरा आईसटीन का सूत्र देखिये जिस के आधार पर आटोहान ने परमाणु बम बना कर परमाणु के अन्दर छिपी अनंत ऊर्जा की एक झलक दिखाई जो कितनी विध्वंसक थी सब जानते है.
e / c = m c
इस के अनुसार पदार्थ को पूर्णतयः ऊर्जा में बदला जा सकता है अर्थात दो नही एक ही है पर वो दो हो कर स्रसटी का निर्माण करता है .
ऋषियो ने ये रहस्य हजारो साल पहले ही ख़ोज लिया था.
भगवान अर्ध नारीश्वर इस का प्रमाण है .
शिवलिंग क्या है ?
राम चरित्र मानस में शिव की स्तुति की ये लाइन देखिये
'' अखंडम अजन्म भानु कोटि प्रकाशम् ''
अर्थात जो अजन्मा है अखंड है और कोटि कोटि सूर्यो के प्रकाश के सामान है .जिस का जन्म ही नही हुआ उस का फिर उस के लिंग से क्या तात्पर्य है .
ब्रह्म - अंड,
अर्थात ब्रह्माण्ड अंडे जैसे आकर का है .
शिवलिंग ब्रह्माण्ड का प्रतीक है .
पूजा से हमें शक्ति मिलती है .शिवलिंग की पूजा शिव -शक्ति के मिलन का प्रतीक है जो हमें सांसारिक बन्धनों से मुक्त करती है .
इन रहस्यों को जो जानता है वो शिव भक्ति से सराबोर हो जाता है फिर वो किसी भी मजहब का हो ..शिव जी के अनेक मुस्लिम भक्त भी है .
MAHASHIVRATRI KE SHUBH:AVSAR PAR IS PRASTOOTI KE LIYE SHUBH:KAMNAYEN..........
जवाब देंहटाएंSADAR.
शिव और शक्ति मिल कर ब्रम्हांड का निर्माण करते है .इस श्रसटी में कुछ भी एकल नही है अच्छाई है तो बुराई है ,प्रेम है तो घ्राण भी है .यदि एक सिरा है तो दूसरा शिरा भी होगा .एक बिंदु के भी दो सिरे होते है
जवाब देंहटाएंjai bholenaath
abhishek ji wiwah ki hardik shubhkamna
ashish: सत्यम शिवम् सुन्दरम . भवं भवानी सहितं नमामि .
जवाब देंहटाएंशिवरात्रि की बधाई एवं शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंबहुत ही करेक्ट लिखा है आपने। जय शिव शंभू।
जवाब देंहटाएंपवन जी बधाई देने के लिए और आशीर्वाद प्रदान करने के लिए विवाह समारोह में आप और भाभी जी के आगमन के लिए आप दोनों का बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंशिव का सही अर्थ होता है ''मंगलकारी तत्व ''
जवाब देंहटाएंएसी भावनाएं जिनसे लोक मंगल हो ''शिव ''हैं
एसी बाणी जिनसे लोक आनंद हो ''शिव '' है
एसे शब्द जिनसे लोक मंगल हो एवं प्रेम बढे ''शिव '' है
एसे कार्य जिनसे लोक कल्याण हो एवं धर्म की रक्षा हो ''शिव है
शिव नंदी पे सवार रहते हैं , नंदी का तातपर्य धर्म से है
और धर्म '''लोक हित मे होता है
परहित सरिस धर्म नहीं भाई , पर पीड़ा सम नहीं अधमाई