गिर गयी उषा के हाथ से
सिन्दूर की दानी
और बिखर गयी लाली .
धुंध का लिहाफ ओढ़े
पड़ी हुई वसुंधरा ने
जब ली अंगड़ाई, तो
चिड़ियाँ भी चह्चहायीं .
सुनकर खगों का शोर
दिनकर ने भी आँखें मलीं
और नींद भरा, लाल मुख
लेकर उपस्थित हो गए .
उषा ने लाली समेटकर
चन्दन का तिलक सूर्य के
माथे पर लगा दिया,
और फिर वो कहाँ लोप हुई
सूरज ने ध्यान ना दिया .
और कुछ ही देर में
नीले समंदर के बीच
दीख पड़ा सबको
इक आग का गोला .
उस आग ने सबको तपाया
पर आई फिर संध्या की छाया.
संध्या जो आई तो
अनल कुछ शांत हो गया,
लपटें चली गयीं
बचा बस लाल कोयला .
इतने में आ पहुंची निशा,
माथे पे चाँद की बिंदिया ,
और काले आँचल में उसके
तारों की अबरक चमके ,
कुछ को सुलाया
सिन्दूर की दानी
और बिखर गयी लाली .
धुंध का लिहाफ ओढ़े
पड़ी हुई वसुंधरा ने
जब ली अंगड़ाई, तो
चिड़ियाँ भी चह्चहायीं .
सुनकर खगों का शोर
दिनकर ने भी आँखें मलीं
और नींद भरा, लाल मुख
लेकर उपस्थित हो गए .
उषा ने लाली समेटकर
चन्दन का तिलक सूर्य के
माथे पर लगा दिया,
और फिर वो कहाँ लोप हुई
सूरज ने ध्यान ना दिया .
और कुछ ही देर में
नीले समंदर के बीच
दीख पड़ा सबको
इक आग का गोला .
उस आग ने सबको तपाया
पर आई फिर संध्या की छाया.
संध्या जो आई तो
अनल कुछ शांत हो गया,
लपटें चली गयीं
बचा बस लाल कोयला .
इतने में आ पहुंची निशा,
माथे पे चाँद की बिंदिया ,
और काले आँचल में उसके
तारों की अबरक चमके ,
कुछ को सुलाया
कुछ को जगाया निशा ने .
कई प्रहर वह ठहरी रही
पर अंततः थक ही गयी,
और लो !
कई प्रहर वह ठहरी रही
पर अंततः थक ही गयी,
और लो !
फिर आ पहुंची उषा.
bahut sundar
जवाब देंहटाएंमिलने को दिनकर से कर धुंध सी बोझिल पलकें
जवाब देंहटाएंआई उषा ले चेहरे पर अनुराग लाली
साथ में चतुर पखेरू गीत गाते
सजकर आई प्रकृति स्वयं बनकर आली
bhai wah kya sunder seen hai
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna
जवाब देंहटाएंa very beautiful poem .
जवाब देंहटाएंमाथे पे चाँद की बिंदिया ,
जवाब देंहटाएंऔर काले आँचल में उसके
तारों की अबरक चमके ,
कुछ को सुलाया
कुछ को जगाया निशा ने .
कई प्रहर वह ठहरी रही
पर अंततः थक ही गयी,
और लो !
फिर आ पहुंची उषा.
BAHUT HI SUNDAR RACHNA
sundar rachna
जवाब देंहटाएं