राष्ट्र सृजन के पावन पथ पर
श्रम की नगरी गंगा तट पर, शिक्षा का बढ़ा तब गौरव
केआईटी का हुआ जब उदभव.
ऊर्जित मेधा के साथ चले हम
गुणवत्ता के साथ बढे हम,
अभिनव तकनीक प्रायोगिक हो
सरल अनंत ज्ञान सब संभव.
स्वप्न हुए साकार यहाँ पर
जीवन को आकार यहाँ पर ,
स्थितियों को गति प्रदान कर
सर्वत्र फैलता यश सौरभ.
जयति जयति विद्या प्रदायिनी
जयति जयति जय ज्योति दायिनी,
विश्व विजय की अभिलाषा है
मन्त्र सत्य शिव सुन्दर भव.
PAWAN KUMAR MISHRA
ASSISTANT PROFESSOR OF
INDUSTRIAL SOCIOLOGY
K.I.T. KANPUR
PAWAN KUMAR MISHRA
ASSISTANT PROFESSOR OF
INDUSTRIAL SOCIOLOGY
K.I.T. KANPUR
अच्छा काम किया।
जवाब देंहटाएंबधाई!
राष्ट्र सृजन के पावन पथ पथ पर
जवाब देंहटाएंश्रम की नगरी गंगा तट पर,
शिक्षा का बढ़ा तब गौरव
केआईटी का हुआ जब उद्भव
.
बहुत सुंदर .कमाल का हुनर है आप मैं
जहाँ से हम जुड़े होते हैं, उसके लिए सोचना नहीं पड़ता और कलम खुद बा खुद जो लिख जाती है वह उत्तम होता है क्योंकि वह समर्पित होता है.
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सरल एवं उर्जा से ओतप्रोत है यह गीत। अंतिम पद्य संस्कृत मे होने से अपने पुरातन गौरव की अनायास ही याद आती है।
कृपया ज्ञात करें कि आपका यह गीत किसी भी भा. प्रौ. सं. का प्रथम गीत है?
Really well written
जवाब देंहटाएंबढ़िया है , कुलगीत तो अच्छा बना है . अब लिख दिया है तो लोग गायेंगे ही .
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्द संयोजन और भाव एवं उद्देश्य का बेमिसाल मिश्रण....
जवाब देंहटाएंI have a proud of you . very good "GEET" you wrote . the words are very balanced .
जवाब देंहटाएंShaandar.
जवाब देंहटाएं---------
पैरों तले जमीन खिसक जाए!
क्या इससे मर्दानगी कम हो जाती है ?
very rythmic and motivating......
जवाब देंहटाएंnice thought sir.......
जवाब देंहटाएंUMANATH PATHAK, EC-B, 2nd yr
very nice composition...
जवाब देंहटाएंthanks for giving us a kulgeet
very nice thanks for posting the details of the kulgeet of kanpur institute of technology
जवाब देंहटाएंkit kanpur