कानपुर मात्र उद्योगों से ही सम्बंधित नहीं है वरन यह अपने में विविधता के समस्त पहलुओ को समेटे हुए है. यह मानचेस्टर ही नहीं बल्कि मिनी हिन्दुस्तान है जिसमे उच्चकोटि के वैज्ञानिक, साहित्यकार, शिक्षाविद राजनेता, खिलाड़ी, उत्पाद, ऐतिहासिकता,भावनाए इत्यादि सम्मिलित है. कानपुर ब्लोगर्स असोसिएसन कानपुर के गर्भनाल से जुड़े इन तथ्यों को उकेरने सँवारने पर प्रतिबद्धता व्यक्त करता है इसलिए यह निदर्शन की बजाय समग्र के प्रति समर्पित है.
कटीली झाड़ी ने दामन थामा था मेरा
जवाब देंहटाएंबसंत बहुत चुभा तभी
सुन्दर अभिव्यक्ति ,बधाई
तुमसे बिछुड़ के पगडंडियों से
जवाब देंहटाएंन जाने कहाँ
चली थी मै
कटीली झाड़ी ने दामन थामा था मेरा
बसंत बहुत चुभा तभी
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वाह पवन जी कमल का लिखते हैं
एक बार हस्ते हस्ते
जवाब देंहटाएंघर को आयी थी मै
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लगता है भाभी जी ने लिखा है. आप से भी एक क़दम आगे.
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अब तो चाए पक्की है ना
अच्छा प्रयास है .
जवाब देंहटाएंमासूम साहब जब आइयेगा तो इमरती लेते आइयेगा ।
सब ऋतुओ से न्यारा बसंत . सारे जग का प्यारा बसंत
जवाब देंहटाएंकोमल पत्तों से सज आता ,फूलों का निज हार सजाता
प्रेमी जन के मन को भाता कण कण में मधु रस भर जाता
मासूम भैया
जवाब देंहटाएंआपने मेरी कविता को पवन जी समझा
मेरे लिए इससे बड़ा कम्प्लिमेंट और क्या हो सकता है
चाय तो पक्की है ही
साथ में सुजानगंज का एटम बम्म भी
स्पेशल मंगवा कर रख लेगे
पलाश जी मुंबई की तो अफलातून मशहूर है, जौनपुर से आया तो अवश्य लूँगा.
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किरण @ भाभी जी चाए के बाद फ़ौरन एटम बम्म से सत्कार. बाप रे लगता है कोई बहुत बड़ी गलती हो गयी है. हा हा हा
बड़े भाई आशीष राय जी ने कहा है (उनकी टिप्पणी पेस्ट नही हो रही थी )
जवाब देंहटाएं"बसंत में परमाणु बम और चाय से काम थोड़े चलेगा , गुझिया और ठंडाई भी होनी चहिये ",
बेहतरीन रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएंमीनू तो तैयार हो गया , अब दिन तारीख और जगह भी जल्दी तय कर ली जाय ।
जवाब देंहटाएंअर मासूम जी बस खाली हाथ न आइयेगा , चाहे बम्बई से आये या जौनपुर से........
बहुत सुन्दर.
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पैरों तले जमीन खिसक जाए!
क्या इससे मर्दानगी कम हो जाती है ?