ना ही तुम्हे कल तो मै जानता था
ना ही तुम्हे कल तो पहचानता था
मिले कब थे कैसे और किस राह पर हम
न अब जानता हूँ न तब जानता था
सूरत तुम्हारी ही भाती है मन को
अदाएं तुम्हारी लुभाती है मन को
पहली नजर में था कायल मै तेरा
यही जानता हूँ यही जानता था
खुदा की थी मर्जी जो उसने मिलाया
मोहब्बत में तेरे वो जीना सिखाया
था किस्मत में लिखा खुदा ने तुम्ही को
यही जानता था यही जानता हूँ
महोदय जी,
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