ऐ प्रेम तुम हो क्या?
समर्पण का नाम ,
या निर्मल सा एक भाव ?
किसी ने पाया तुम्हे उजाले में,
किसी ने अंधेरो में पाया,
कोई कहता है की सुख हो तुम ,
कोई कहे दुःख की छाया .
ऐ प्रेम तुम हो क्या?
एक सरसराहट से ,
एक झनझनाहट से ,
मीठी सी बोली से ,
चुभते से बाणों से .
एक एहसास हो ,
जो अनकहा है ,
या पन्ना जिंदगी का ,
जो अनछुआ है .
ऐ प्रेम तुम हो क्या ?
कोई त्याग में देखता है तुम्हे ,
कोई ममता में मानता है ,
किसी के लिए शांति हो तुम ,
कोई युद्ध से जानता है .
दिव्यता की मूरत हो ,
या सुन्दर सा ख्वाब हो .
ऐ प्रेम तुम हो क्या?
ऐ प्रेम तुम हो क्या?
"अमन मिश्र "
समर्पण का नाम ,
या निर्मल सा एक भाव ?
किसी ने पाया तुम्हे उजाले में,
किसी ने अंधेरो में पाया,
कोई कहता है की सुख हो तुम ,
कोई कहे दुःख की छाया .
ऐ प्रेम तुम हो क्या?
एक सरसराहट से ,
एक झनझनाहट से ,
मीठी सी बोली से ,
चुभते से बाणों से .
एक एहसास हो ,
जो अनकहा है ,
या पन्ना जिंदगी का ,
जो अनछुआ है .
ऐ प्रेम तुम हो क्या ?
कोई त्याग में देखता है तुम्हे ,
कोई ममता में मानता है ,
किसी के लिए शांति हो तुम ,
कोई युद्ध से जानता है .
दिव्यता की मूरत हो ,
या सुन्दर सा ख्वाब हो .
ऐ प्रेम तुम हो क्या?
ऐ प्रेम तुम हो क्या?
"अमन मिश्र "
बहुत ही उम्दा .......
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