हम सभ्य हैं
क्यूंकि -
हम छुरी कांटे से खाते हैं,
तन की महक को डियो से छुपाते हैं;
लोगों के बीच जोर से हँसते नहीं हैं,
और खांसने से पहले कहते हैं - एक्स्क्युस मी!!
आशुतोष त्रिपाठी
कानपुर मात्र उद्योगों से ही सम्बंधित नहीं है वरन यह अपने में विविधता के समस्त पहलुओ को समेटे हुए है. यह मानचेस्टर ही नहीं बल्कि मिनी हिन्दुस्तान है जिसमे उच्चकोटि के वैज्ञानिक, साहित्यकार, शिक्षाविद राजनेता, खिलाड़ी, उत्पाद, ऐतिहासिकता,भावनाए इत्यादि सम्मिलित है. कानपुर ब्लोगर्स असोसिएसन कानपुर के गर्भनाल से जुड़े इन तथ्यों को उकेरने सँवारने पर प्रतिबद्धता व्यक्त करता है इसलिए यह निदर्शन की बजाय समग्र के प्रति समर्पित है.
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जवाब देंहटाएंहम सभ्य है क्योंकि
जवाब देंहटाएंनहीं पीक की पिचकारियों से रंगते घर द्वार
नहीं बकते अपशब्द दोस्तों और अजनबियों को
नहीं कसते फ़ब्तिया आती जाती लड़कियों को
आपकी रचना से प्रेरित
सोनल जी काश हम बाकई सभ्य बन जाये जैसी आप कल्पना कर रही है
जवाब देंहटाएंकल्पना इसलिये कह रही हूँ क्योकि समाज से ये आचरण गायब ही नजर आते है ।
kya khoob kaha Ashutosh ki aur rachnaye post ki jay
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