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१६ दोनों में तरह तरह की सब्जियों चटनियों और रायते के साथ जब सामने होती है ... आह क्या कहने
कानपुर में जलेबी सुबह हर हलवाई बनाता है जैसे मन्दिर में सुबह पुजारे भगवान् का पूजन करता है वैसे दही जलेबी का कलेवा करना यहाँ नाश्ते में शुमार है |
कानपुर में गरीब और मध्यम वर्ग के लोग अधिक रहते है लेकिन यह शहर किसी को भूखा नहीं सोने देता |
यहाँ के कारीगर गरीब हैं इसलिए भूख का दर्द जानते है | इसलिए कम से कम कीमत पर अपना उत्कृष्ट सामान उत्पादित कराते है नयागंजा चौराहे के कुछ दूर खडा होने वाला शंकर पानी के बताशे वाला अब भी दो रुपये में पानी के चार बताशे देता है लेकिन उसका बताशों का पानी अद्भुत होता है | जलतरंग की प्यालियों से सजे बताशों के पानी के मर्तबान | उनमें घुला सोंठ , जीरा , हींग पुदीना , खटाई और न जाने क्या क्या | खाने वाला एक बार खाना शुरू करता है तो गिनती भूल जाता है | क्या खाक मुबंई की पानी पूरी मुकाबला करेगी इनका.
पिछले बीस बरसों से कानपुर में सर्दियों में झाग वाला मक्खन खूब बिकता है मिट्टी की प्यालियों में हलके केसरी रंग के मक्खन की झाग खाना ज़रा मुश्किल काम है पर यह झागदार मक्खन इतना स्वादिष्ट होता है कि एक प्याली से मन नहीं भरता | ऐसे झागदार मक्खन के मुख्य बाजार बीराहाना रोड और नयागंज है |
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भण्डार. यहाँ चाट खाने के लिय खासे धैर्य की जरूरत है | धनिये वाले आलो, नवीन मार्केट में बिरहना रोड पर उम्दा मिलते हिया रिजर्व बैंक के सामने मुन्ना चाट भंडार , नवीन मार्केट में भोला चाट भण्डार हटिया का गिरिजा चाटी भण्डार किदवई नगर का शुक्ला चाट भण्डार लाजपत नगर का लल्ला चाट भंडार व पांडू नगर का लूटू चाट भंडार कानपुर के मशहूर चाट भंडार है |
तो देर किस बात कि
अरे कुछ दिन तो गुजारिये कानपुर में
और कनपुरिये चटखारे क़ा फुलटाइम लुत्फ़ लीजिये
(साभार अमरीक सिंह 'दीप' और अपर्णा त्रिपाठी"पलाश")