शिक्षा का बाजार बने है
ये विघा के मंदिर
शिक्षा छोड के सब मिलता
देखो इसके अंदर
अब पहले से नही रहे
गुरुजन द्रोण के जैसे
ढूढे से भी ना मिलते
शिष्य भी अर्जुन के जैसे
हाथ में डिग्री उनके होती
जिनकी जेब में पैसे
जिसके पास नही हो पैसा
वो पढने को तरसे
विधार्थी बन रहे कस्टमर
और टीचर बना इम्प्लाई
स्टूडेंट से कुछ कहे तो समझो
उसकी जीविका पर बन आई
बच्चो से ज्यादा रिजल्ट की चिंता
रोज गुरुवर जी को है सताती
एक्साम के दिनों में यही सोच कर
गुरु जी को नीद भी नहीं आती
सुबह सवेरे मंदिर जाकर
मन्नत टीचर है मांगे
और बरगद के पेड़ में जाकर
मोटे धागे भी बांधे
बिन शिक्षा के फल फूल रहा
देखो शिक्षा का व्यापार
बिन शिक्षित हुए लोग भी पा रहे
मेडल नौकरी और उपहार
शिक्षा का बाजार बने है
ये विघा के मंदिर
शिक्षा छोड के सब मिलता
देखो इसके अंदर
चित्र के लिए गूगल का आभार
पलाश
पलाश
Bahut badhiya likha hai .......... shayad kaafi teachers aur student ise padh kar yahi socheinge ki aap ko unke man ki baat kaise pata
जवाब देंहटाएंसही है! एक अध्यापक से बेहतर कौन बयान कर स्कता है शिक्षा का हाल!
जवाब देंहटाएंshuikshk bbhikshak ban gaye hai. sateek post
जवाब देंहटाएंहाथ में डिग्री उनके होती
जवाब देंहटाएंजिनकी जेब में पैसे
जिसके पास नही हो पैसा
वो पढने को तरसे
बहुत जोरदार झन्नाटा
सब बिकाऊ है, शिक्षा क्या शिक्षक भी बिकाऊ है . कितने चाहिए और किस रेट पर चाहिए - मुफ्त आपूर्ति की गारंटी है.
जवाब देंहटाएंअच्छा व्यंग है , शिक्षा अब व्यापार बन गयी है .
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी पोस्ट
जवाब देंहटाएंकानपुर ब्लोगर्स असोसिएसन में आ कर लगा की अब अपने घर आ गया हू .
मुझ को तो पहले से ही इस की तलाश थी और इसी लिए मैंने लखनऊ ब्लोगर्स असोसिएसन में नही गया .मेरी तलाश पूरी हुई
आपका हार्दिक स्वागत
जवाब देंहटाएंअभिषेक जी आप अपना ई मेल पता दे
my e mail address is
जवाब देंहटाएंmattum15@gmail.com
आपके पोस्ट का सानीप्य पा कर मन में टखुशी हुई। फिर मिलूगा। मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है।
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