मंगलवार, 16 अक्तूबर 2012

जो कभी मिला ही नहीं।

अनजान  है  वो  मेरे  लिए , शक्ल  या सूरत मैंने देखी नहीं।
बस पड़ता हु उसकी बातो को ,उसकी हसी को।

है उसका इन्तेजार की कब आये वो, कुछ देर के लिए ही सही।
  मेरे पास ना सही , दूर से ही मुस्कुराये ,मेरा नाम ले वो .

बने रंग मेरे जीवन की वो और यूही रंग भरती रहे .
ख़ुशी हो या दुःख हो मेरे साथ वो चलती रहे .

 हो सवेरा या रात  का साया ,मेरे साथ हो वो . 
बस साथ में हो ,हम हमेशा .....

वो नूर है मेरी नन्ही सी दुनिया का , कोई गम न होगा उसे।
बस साथ दे वो मेरा हमेशा हमेशा के लिये।  
                                                                ''अमन मिश्र ''    
                    

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