सोमवार, 15 अक्टूबर 2012

यादे


रात की चांदनी में ,उसकी आहट. मिलना चुप के से ,वो बातो की नजाकत .
यूही खिलखिलाना मेरी हर बात पे उसका ,मुझे याद आता है.
उसका वो धीरे से पलके झुकाना , बातो ही बातो में नज़ारे चुराना
मुझे याद आता है........
वो आना उसका , खिलना कली सा ,
महक
ना वसंती हवाओ के जैसा ,
मुझे याद आता है ,
मुझे याद आता है.
आज वो नहीं है ,पर यादे है उसकी ,
एक तस्वीर भी जो दिल में बसी है ,
उसे ही देख के ,मै कहता हु खुद से ,
वो मुझे याद आता है,
तुम मुझे याद आते हो.
''अमन मिश्र ''

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