मंगलवार, 19 मार्च 2013

समाज की तरक्की के लिए भ्रूण हत्या जरुरी है

आज भी जब हमारा देश एक पिछड़े देश के मुकाबले एक प्रगतिशील देश के रूप मे जाना जाने लगा है, हमारे देश और समाज में लड़कियों और महिलाओ के साथ अनेक रूपों में दुर्व्यवहार किआ जाता है.आज भी एक लड़की के पैदा होने को अभिशाप मन जाता है जिनके चलते घर की उन्हे असमय ही मरने पर मजबूर होना पड रहा है.
तकनीक मे भारत की तरक्की दुनिया मे एक मिसाल बनती जा रही है, परंतु यह भी एक अभिशाप की तरह बनती दिख रही है.......आज आधुनिकीकरण का ही नतीजा है की सोनोग्राफी, अल्ट्रासाउंड् जैसी तकनीक से गर्भ मे लिंग का पता चलता है और यदि स्त्री लिंग होता है तो उसे माँ के पेट में ही मार दिया जाता है. आजकल स्त्री भ्रूण हत्या एक आम बात बन गई है जबकि लिंग का पता करना एवं उसकी हत्या करना कानूनन अपराध है. कई बार तो न्यूज़ चैनल्स पर इस तरह के कई ऐसे कांड दिखाए जाते है जहा पर डॉक्टर्स भी मिले हुए होते है. कई बार कुछ हॉस्पिटल्स के आस पास की जगहों से भ्रूण मिलते है .कभी वे कूड़े के ढेर में पाए जाते है ,तो कभी किसी गंदे नाले में तो कभी कभी वे कुत्तो व चील-कौओ के द्वारा खंडित किए जाते हुए पाए जाते है.

ये सब पढ़ कर ऐसी गलतफ़हमी मत रखियेगा कि ये सब पिछड़े प्रदेशो में होता है बल्कि आपको यह जानकार आश्चर्य होगा की ये सबसे ज्यादा शहरो एवं मेट्रो सिटीज् में होता है. गांव् में तो लोगो को ना तो इतनी जानकारी होती है और ना ही वो इतने आधुनिकत तकनीक से परिचित होते है.
अगर आंकड़ो पर ध्यान दे तो लिंगानुपात् में बहुत अंतर आया है.ये अनुपात भारत में १९९१ में ९४७ लड़कियों का १००० लडको का था और ठीक दस साल बाद यह अनुपात  ९२७ लड़कियों का १००० लडको पर था. सन १९९१ से भारत में स्त्री लिंग की कमी होनी शुरू हुई थी जिसमे सब से ज्याया श्रेय पंजाब को जाता है जिसमे लिंगानुपात् में जमीन असमान का अंतर है.

कुछ विकसित प्रदेश जैसे की महाराष्ट्र ,गुजरात पंजाबहिमांचल प्रदेश एवं हरियाणा में लिंगानुपात् में सबसे ज्यादा अंतर पाया गया है.

हमारे देश में केरल ही ऐसा प्रदेश है जहा पर १००० लडको पर १०५८ लड़कियों का आंकड़ा है और इसके विपरीत हरियाणा एक ऐसा प्रदेश है जहा पर १००० लडको पर ८०० लड़कियों का आंकड़ा है.

आज अगर एक लड़की के होने को एक कलंक मन जायेगा तो वो दिन दूर नहीं जब समाज हर लड़की को द्रौपदी बनने पर मजबूर कर सकता है.

हमें समाज की इन कुरीतियों को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए ,और हमें ये प्रण करना चाहिए की इस तरह के काम में लिप्त लोगो को सजा हो और इस काम में मदद करने वालो को भी सजा हो. इसका मतलब ये नहीं की सजा देना ही एक निष्कर्ष है .....समाज को सुधारने के लिए हमें स्त्री को सम्मान देना होगा और उसकी जरूरत को समझना होगा.

1 टिप्पणी:

  1. यत्र नारिणाम पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवता ...
    हमारे देश भारत में हमेशा से नारियो की पूजा होती रही है . नारी शक्ति तो नर शिव है .
    शिव का अर्थ होता है मंगलकारी . शिव से परे आसुरी प्रवृत्ती होती है . शिव की शक्ति नारी है . नारी के बिना कोइ भी मंगलकारी कार्य संपन्न नहीं होता . यहाँ तक की परब्रम्ह श्रीकृष्ण को भी अपनी रास लीला के लिए नारी तत्व का ही सहारा लेना पड़ा . .नारी से ही माँ , बहन , बेटी , बुआ , आंटी , प्रेमिका , (पत्नी) इत्यादि का प्रेम मिलता है ..बिना प्रेम के जीवन में आनंद की कल्पना भी नहीं की जा सकती .
    नारी से नर होत हैं नारी प्रेम की खान ......... भ्रूण हत्या बंद हो ...कन्या हत्या बंद हो ...नारी का सम्मान हो ......

    जवाब देंहटाएं