शुक्रवार, 20 सितंबर 2013

निशाँ

किनारों की जरुरत नहीं है मुझको ,
  लहरों से हमको  वफ़ा  चाहिये।
ख़ुशी की तो कोई तमन्ना नहीं अब,
ग़मों में  ही हमको मजा चाहिए।

मिलेगा कोई इस गैरे  महफ़िल में ,
इसकी तो कोई आरजू ही नहीं,
था कोई अपना कभी साथ अपने ,
हमें तो उसके निशाँ चाहिए।

किनारों की जरुरत नहीं है मुझको ,
  लहरों से हमको  वफ़ा  चाहिये।
                                                                     
"aman mishra"

गुरुवार, 19 सितंबर 2013

शहर के ब्लॉगर्स चमका रहे दुनिया में’




14 सितम्बर में कानपुर के ’दैनिक हिन्दुस्तान ’ में कानपुर-उन्नाव के कुछ ब्लॉगरों का जिक्र हुआ। शीर्षक -शहर के ब्लॉगर्स चमका रहे दुनिया में’
                                              sabhar "fursatiya"