रविवार, 14 अक्तूबर 2012

जब कोइ छोड़ देता है अपने ही "स्व " को ..राजीव










जब अपने ही "स्व "  को
कोइ छोड़ देता है,
तब उसी समय
अपनी जिन्दगी
किसी दूसरे के
हाथो में दे देता है
खिलौना बन कर
रह जाता है
वह इस संसार में,
नामोल रहा जाता  है
उसका  शरीर
इस बाजार में।
(मानव मूल्य एवम मानव धर्म के हिमायती श्री ए नागराज जी को समर्पित  )

4 टिप्‍पणियां: