बुधवार, 23 मार्च 2011

गणेश शंकर "विद्यार्थी " जी की जन्मस्थली कानपुर नही

कानपुर के इतिहास के बारे में  भ्रामक जानकारिया कानपुर की बेबी वेबसाइट पर पडी   हुई है इसमें एक ऐतिहासिक गलत जानकारी विद्यार्थी जी के बारे में है की वह कानपुर में पैदा हुए जबकि कानपुर उनकी जन्मस्थली और इलाहबाद में उनका जन्म हुआ था.आजादी की लड़ाई में अतुलनीय योगदान देने वाले इस शहर के नामकारन और वर्तनी तक को लेकर जितना विवाद है उतना शायद किसी भी जिले को लेकर नही हुआ है. २४ मार्च १८०३ को कानपुर को जिला घोषित किया गया था और अब्राहम बेलांड पहले कलेक्टर बने थे. जिले का दर्जा मिलने के बाद सरसैया घाट स्थित एक बंगले में एक कचहरी बनाई गयी तथ १५ परगनों में जिले को बांटा गया ये परगने है-जाजमऊ बिठूर बिल्हौर शिवराजपुर डेरापुर रसूलाबाद भोगनीपुर सिकंदर अकबरपुर घाटमपुर साढ़-सलेमपुर, औरैया कन्नौज कोड़ा और अमौली. इस प्रकार कानपुर लगभग २०८  वसंत देख चुका है . शहर को औदौगिक महत्व तो मिला पर इसके पुरातात्विक महत्व को नजरअंदाज कर दिया गया. विश्व में पहले मंदिर का निर्माण यही (भीतरगांव) हुआ. बिठूर को तो  पुरातात्विक केंद्र के रूप में मान्यता मिली हुई है. कविता के पहले बोल यही फूटे थे (वाल्मिक आश्रम ). आज जरूरत इस  बात बातहै कि कानपुर के इतिहास के बारे में सरल भाषा में तथ्य सामने लाये जय ताकि आम जनमानस उससे परिचित हो सके

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