सोमवार, 21 फ़रवरी 2011

पाठक से परिवर्तन हुआ और हम लेखक भये

कवि जी कवि वर भये
सबदन के वर भये
रस छंद  जोड़ी लिए
लरिकन  के आफत  भये

अब हम भी पाठको को
सताने वाली श्रेणी में शामिल हुए
पाठक से परिवर्तन हुआ
और हम लेखक  भये

कल मैने  डॉ पवन कुमार मिश्र जी मुलाकात किया और उस मुलाकात के फलस्वरूप मेरे में दो परिवर्तन आये
१. मेरा आत्मविश्वास बढ़ा . इससे पहले मै काफी हद तक परमुखापेक्षी हुआ करता था पर डॉ मिश्र ने मेरी बैसाखियों को छीन कर फेक दिया(इसकी चर्चा बाद में  की जायेगी).
२. मै अपने पूर्ण स्वरुप में ब्लॉग जगत में उपस्थित हूँ. इससे पहले मै चन्द्र के नाम से लिखा करता था जबकि मै सूर्य हूँ. मै पाठको विशेष तौर से बहन अपर्णा का शुक्रगुजार हूँ.जिनकी प्रेरणा से कुछ लिखने की तरफ अग्रसर हुआ
जय हिंदी जय नागरी
जय कानपुर ब्लागर्स असोसिएसन


5 टिप्‍पणियां:

  1. आप का ब्लॉगजगत मैं स्वागत है .डॉ पवन कुमार मिश्र जी से तो आज भी मैं बहुत कुछ सीखा करता हूँ.

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  2. मुझे खुशी है कि आप अपने पूर्णस्वरूप में ब्लॉग पर आये
    काफी दिनों से मै आज के दिन के बारे में सोच रहा था.
    मासूम भाई ये आप क्या कह रहे है मै तो आप क अनुगामी हूँ

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  3. ati sundar.....aap achhe hain saath me apko achhe bhai-bahan bhi mila hai.....

    sadar.

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  4. हम देख कर ये प्रसन्न भये
    कि चन्द्र जी सूरज भये

    इस दुनिया में कोई भी सम्पूर्ण नही सभी को किसी ना किसी की जरूरत रहती है ।
    ब्लाग जगत की बहुत अच्छी बात है कि यहाँ सभी (ज्यादातर)लोग उत्साह्वर्धन करते हैं।

    बस यूँ कुछ लिख दीजिये
    कि रौशनी मिले औरों को भी
    आपको पढ पढ के बन जाय
    कुछ पाठक अच्छे ब्लागर भी

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  5. अब हम भी पाठको को
    सताने वाली श्रेणी में शामिल हुए
    पाठक से परिवर्तन हुआ
    और हम लेखक भये.
    बहुत खुब. स्वागत है आपका इस दुनिया मे......

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