इस गंग प्रेम की प्रखर धार में ,
बह जाता ये चेतन मन ...
होती है पीड़ा कष्ट बहुत ,
पर मिलता है अदभुत आनंद ..
प्रेम के कारन जग है जीवित ,
प्राण भरे ये है अमृत ..
ये गूड रहस्यों की है माला ,
मन के सागर की उदंड तरंग ...
प्रेम नहीं कोई कोमल पथ ,
है तप से सिंचित एक उपवन ..
नहीं यहाँ स्थान कटुता का ,
भावो का होता वंदन ..
करुणा है आधार प्रेम का ,
त्याग है इसके कण कण में ..
मानव भी बन जाये ,देवो के तुल्य
बस जाये जो ये मन में ....
इस गंग प्रेम की प्रखर धार में ,
बह जाता ये चेतन मन ...
जारी ...
"" aman mishra "'
बह जाता ये चेतन मन ...
होती है पीड़ा कष्ट बहुत ,
पर मिलता है अदभुत आनंद ..
प्रेम के कारन जग है जीवित ,
प्राण भरे ये है अमृत ..
ये गूड रहस्यों की है माला ,
मन के सागर की उदंड तरंग ...
प्रेम नहीं कोई कोमल पथ ,
है तप से सिंचित एक उपवन ..
नहीं यहाँ स्थान कटुता का ,
भावो का होता वंदन ..
करुणा है आधार प्रेम का ,
त्याग है इसके कण कण में ..
मानव भी बन जाये ,देवो के तुल्य
बस जाये जो ये मन में ....
इस गंग प्रेम की प्रखर धार में ,
बह जाता ये चेतन मन ...
जारी ...
"" aman mishra "'
सुन्दर भावाभ्यक्ति आदरणीय!
जवाब देंहटाएंthanks vandan ji
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