मूल्यों के गिरते स्तर पर ,
ये कैसा भारत निर्माण ...
नैतिकता के शव पे खड़ा ,
आज का बदलता हिंदुस्तान ....
ये कैसा भारत निर्माण ...
कौन सी माता ,
किसके बच्चे...
सब झूठे है ,फिर भी सच्चे ..
चौराहों पे बिकता आदर्श ,
झूठे छेड़ते सत्य की तान ...
घोटालो की खुली मंडी,
लज्जा भी हो रही हैरान .....
ये कैसा भारत निर्माण ....
.ये कैसा भारत निर्माण .....
गंगा है मैली ,मैला
यमुना का आँचल ..
ये सुनहरा है आज ,
तो क्या होगा अपना कल ?
खड़ा किसान रो रहा ,
बाकि नहीं देह में जान ..
ये कैसी विकास की कीमत ,
खो रहे है अपना मान..
बस हो रहा भारत निर्माण ...
ये कैसा भारत निर्माण ....
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सूचनार्थ
भारत निर्माण या भारत-विध्वंस - देस का दुर्भाग्य अपनी ही संतान नालायक निकल रही है !
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