छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय से सम्बध्द निजी महाविद्यालय का संचालन फर्जी अनुमोदन के बल पर चल रहा है.जी हां चौकिये नहीं ये बात एकदम सच है .निजी महाविद्यालय में जो अनुमोदित टीचर है वो केवल कागज तक ही सीमित है वास्तविक तौर पर नहींअसल में ये टीचर दुसरे विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य कर रहे है.छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय से सम्बध्द निजी महाविद्यालय में टीचरों का फर्जी अनुमोदन है वास्तव में ये टीचर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय ,आगरा विश्वविद्यालय ,मेरठ विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य कर रहे है या फिर प्राथमिक या माध्मिक विद्यालय में सरकारी नौकरी कर रहे है.जी हां ये बात एकदम सच है.
अब देखे की कैसे होता है फर्जी अनुमोदन
इन निजी महाविद्यालय के प्रबंधको के द्वारा महाविद्यालय की तरफ से विज्ञप्ति अखबार में निकाली जाती है जिसमे मांग दर्शाई जाती की अमुक विषय की जगह अमुक महाविद्यालय में खाली है .यू जी सी मानक अभ्यर्थी सम्पूर्ण विवरण के साथ आवेदन करे ,वेतन यू जी सी मानक के अनुसार.बेचारे पढ़े लिखे लोग लालच में आ कर आवेदन कर देते है .आवेदन करने के पश्चात कुछ प्रबंधक तो अभ्यर्थी को बुला लेते है और पूरे साल के केवल कागजो के रेट तय कर लेते है जो १५ हजार से २५ हजार तक होता है यानी अभ्यर्थी को बिना अध्यापन कार्य किये उस महाविद्यालय से १५ से २५ हजार रुपये तक पूरे साल के दे दिए जाते है और एसे टीचर शायद इस समय परीक्षा में मूल्याकन में भी योगदान कर रहे है .दुसरे वे दबंग प्रबंधक होते है जो अभ्यर्थी का अनुमोदन भी करा लेते है और उसे ना तो साल का पैसा देते है और न ही उसे महाविद्यालय में पदाने देते है.आज शायद छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में शायद ही कोई महाविद्यालय एसा होगा जिसमे सभी विषय के अनुमोदित टीचर हो.बहुत से तो ऐसे महाविद्यालय है जिनमे पूरे साल भर स्टाफ के नाम पर केवल चपरासी और बाबू मिलते है टीचर दूर दूर तक नहीं दिखाते है.असल में इस तरह के महाविद्यालय में शिक्षा का उद्देश्य केवल शिक्षा के नाम पर पैसा बनाना है और परीक्षा में जम के नक़ल करवाना है.अगर आप टीचर का फर्जीवाडा जानना चाहते है तो बस एक काम करे किसी एक विषय का सूचना केवल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय और छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय;दोनों विश्वविद्यालय से संबध सभी निजी महाविद्यालय की सूचना दोनों विश्वविद्यालय से मांग ले और स्वयं जांच कर ले छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय की निजी उच्च शिक्षा की दुकानों का फर्जीवाड़ा जो वास्ताव में डिग्री बेंच रही है.
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