1960 में हिप्पी आंदोलन का पश्चिमी संस्कृति पर गहरा प्रभाव पड़ा, संगीत, कला और युवा अमेरिकियों के हजारों युवा सैन फ्रांसिस्को में इकट्ठा हुये। हालांकि आंदोलन सैन फ्रांसिस्को में केन्द्रित था, पर प्रभाव दुनिया भर मे पड रहा था. ये हिप्पी आधुनिकता की वर्जनाओ को तोड कर 'फ्रेमलेस जीवन' को अपनाने का प्रयास कर रहे थे, जो राज्य को मंजूर नही था. फलस्वरूप एल एस डी दवाओं का उपयोग कर के पूरी की पूरी युवा खेप को नशेडी बना देने का संस्थागत प्रयास किया गया।
ठीक यही काम भारत की सरकार के द्वारा किया गया जब भारत के युवाओं ने बदलाव की कमान अपने हाथ में लिया। इसकी शुरुआत २००७ के यूथ फॉर इक्वलिटी के आंदोलन से हुयी। उस आंदोलन से एक पार्टी निकली "भारत पुनर्निमाण दल" सरकार इस आंदोलन से डर गयी और भविष्य में इस किसिम के आंदोलनो को ख़त्म करने और इस आंदोलन की हवा निकालने के लिए एक सेफ्टी वाल्व बनाना शुरू किया। इस काम में उसे काफी सफलता मिली और इस आंदोलन से जुड़े लोग टूटने लगे और सरकार द्वारा प्रायोजित आंदोलन के साथ जुड़ने लगे हालांकि ऐसे लोग भी कम नही थे जिन्होंने इस बात को समझ लिया किन्तु सरकारी मशीनरी ने उनकी बात को दबाने में आंशिक सफल हुयी। भारत पुनर्निमाण दल से शुरू सफ़र आम आदमी पार्टी पर आ गया। आंदोलनो और उनसे जुडी चीजो पर से जनता का भरोसा डगमगा गया है। यह भारत के भविष्य के लिहाज से सही नही जान पड़ता।
ठीक यही काम भारत की सरकार के द्वारा किया गया जब भारत के युवाओं ने बदलाव की कमान अपने हाथ में लिया। इसकी शुरुआत २००७ के यूथ फॉर इक्वलिटी के आंदोलन से हुयी। उस आंदोलन से एक पार्टी निकली "भारत पुनर्निमाण दल" सरकार इस आंदोलन से डर गयी और भविष्य में इस किसिम के आंदोलनो को ख़त्म करने और इस आंदोलन की हवा निकालने के लिए एक सेफ्टी वाल्व बनाना शुरू किया। इस काम में उसे काफी सफलता मिली और इस आंदोलन से जुड़े लोग टूटने लगे और सरकार द्वारा प्रायोजित आंदोलन के साथ जुड़ने लगे हालांकि ऐसे लोग भी कम नही थे जिन्होंने इस बात को समझ लिया किन्तु सरकारी मशीनरी ने उनकी बात को दबाने में आंशिक सफल हुयी। भारत पुनर्निमाण दल से शुरू सफ़र आम आदमी पार्टी पर आ गया। आंदोलनो और उनसे जुडी चीजो पर से जनता का भरोसा डगमगा गया है। यह भारत के भविष्य के लिहाज से सही नही जान पड़ता।
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