मिला दो रंग अपने कुछ इस तरह कि,
इंद्रधनुषी बन जाओ तुम,
गुजर रही हो दुनिया जब गमो कि बारिश ,
में ,मुस्कुराते नजर आओ तुम।
हो नामुमकिन कुछ तो मुमकिन ,
तुम कर दो।
एक नयी उम्मीद फिर आज़ सीने में,
तुम भर दो।
बस चल दो तुम ,
चल दो।
एक नयी उम्मीद फिर आज सीने में तुम भर दो।
तुम चल दो। चल दो तुम बस।
"AMAN MISHRA"
इंद्रधनुषी बन जाओ तुम,
गुजर रही हो दुनिया जब गमो कि बारिश ,
में ,मुस्कुराते नजर आओ तुम।
हो नामुमकिन कुछ तो मुमकिन ,
तुम कर दो।
एक नयी उम्मीद फिर आज़ सीने में,
तुम भर दो।
बस चल दो तुम ,
चल दो।
एक नयी उम्मीद फिर आज सीने में तुम भर दो।
तुम चल दो। चल दो तुम बस।
"AMAN MISHRA"
खूबसूरत कविता ।
जवाब देंहटाएंdhanyawad.
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