शान्त हुताशन शैल के नीचे
झाक सको यदि तो झांको
वहाँ दिखेगा ज्वालाओं का
एक अति-उद्विग्न सरोवर |
नहीं दृष्टिगोचर होता है
सहज देखने पर यह सर
लेकिन जब विस्फोट हुताशन
शैल करेगा फिर क्या हो?
किन्तु नहीं विस्फोट
सहज ही हो पाएगा इसका
सदिओं-सहस्राब्दिओं की
तो धूल जमी है इसपर!
और धूल कुछ ऐसी कि
पहले तो पथ की बाधा
फिर कहती मैं बहुत बुरी हूँ
मत तुम ऊपर आना!
सच पूछो तो अगर
कहीं सागर हो उद्वेलित
नहीं हानिकारक होता है
जैसे होती वडवानल |
ना जाने अब सुलग-सुलग कर
आग यहीं मर जाएगी
या फिर होगा पुनः एक
विस्फोट विषमता नाशक?