Sep 29, 08:19 pm
उन्नाव, जागरण संवाददाता: अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्मस्थली
पहुंचे बाबा रामदेव ने जब आजाद के साहस भरे किस्से सुने तो रोमांचित हो
उठे। आंगन में रखे चंद्रशेखर आजाद के मुगदर को हवा में लहराया और फिर निहाल
होते उनकी वीरता को सलाम किया।
माता जगरानी की स्मृति में बने आजाद मंदिर में स्थापित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर घर में दाखिल हुए तो वहां पड़े आजाद के व्यायाम संसाधनों को देख सब भूल गये। उनकी निगाह वहां रखे मुगदरों पर पड़ी तो वे उसे उठाकर भांजने लगे। आजाद की मौसी के परिवारियों ने बताया कि यह वह मुगदर हैं जिन्हें आजाद जी खुद भांजा करते थे। यही उनकी निशानी संजो हम सब रखे हैं। यहां आये लोगों ने इन्हें भांजने का कई बार प्रयास किया लेकिन कोई अब तक सफल नहीं हुआ। उधर बाबा ने कहा योग और तप की बदौलत ही आजाद-आजाद रहे। अंग्रेजी हुकूमत को लोहे के चने चबाने को विवश कर दिया था। ऐसे महान सपूत की माटी को माथे पर लगा कर मैं धन्य हो गया।
किस देश में रहती हो नाम नहीं मालूम
उन्नाव: अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्मस्थली बदरका पहुंचे बाबा ने उनके पैतृक आवास का भ्रमण किया। यहां आजाद जी द्वारा आजादी की लड़ाई के दौरान व्यक्त किये गये संस्मरणों को पढ़ा। इसके बाद वह मकान में रह रही एक महिला श्रीमती पत्नी स्वर्गीय कल्लू साहू के पास पहुंचे। जहां पर उन्होंने श्रीमती से पूछा कि बताओ तुम्हारे देश का नाम क्या है, लेकिन सामने बाबा को देख वह सब कुछ भूल गयी। यह देख बाबा जोर से हंसे और बोले भारत इतना भी नहीं जानती हो। इसके बाद बाबा ने साथ चल रहे समिति के सदस्यों से श्रीमती को एक हजार रुपये दिलाये।
माता जगरानी की स्मृति में बने आजाद मंदिर में स्थापित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर घर में दाखिल हुए तो वहां पड़े आजाद के व्यायाम संसाधनों को देख सब भूल गये। उनकी निगाह वहां रखे मुगदरों पर पड़ी तो वे उसे उठाकर भांजने लगे। आजाद की मौसी के परिवारियों ने बताया कि यह वह मुगदर हैं जिन्हें आजाद जी खुद भांजा करते थे। यही उनकी निशानी संजो हम सब रखे हैं। यहां आये लोगों ने इन्हें भांजने का कई बार प्रयास किया लेकिन कोई अब तक सफल नहीं हुआ। उधर बाबा ने कहा योग और तप की बदौलत ही आजाद-आजाद रहे। अंग्रेजी हुकूमत को लोहे के चने चबाने को विवश कर दिया था। ऐसे महान सपूत की माटी को माथे पर लगा कर मैं धन्य हो गया।
किस देश में रहती हो नाम नहीं मालूम
उन्नाव: अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्मस्थली बदरका पहुंचे बाबा ने उनके पैतृक आवास का भ्रमण किया। यहां आजाद जी द्वारा आजादी की लड़ाई के दौरान व्यक्त किये गये संस्मरणों को पढ़ा। इसके बाद वह मकान में रह रही एक महिला श्रीमती पत्नी स्वर्गीय कल्लू साहू के पास पहुंचे। जहां पर उन्होंने श्रीमती से पूछा कि बताओ तुम्हारे देश का नाम क्या है, लेकिन सामने बाबा को देख वह सब कुछ भूल गयी। यह देख बाबा जोर से हंसे और बोले भारत इतना भी नहीं जानती हो। इसके बाद बाबा ने साथ चल रहे समिति के सदस्यों से श्रीमती को एक हजार रुपये दिलाये।